R-Day parade: दिल्ली में कड़ाके की ठंड के बीच कर्तव्य पथ पर आरपीएफ यानी रेलवे सुरक्षा बल की टुकड़ी आगामी गणतंत्र दिवस समारोह की परेड के लिए अभ्यास में जुटी नजर आई। इस साल आरपीएफ के मार्चिंग और बैंड दोनों दस्तों में महिलाएं लीडरशिप रोल में नजर आएंगी, आरपीएफ की टुकड़ी में शामिल महिला अधिकारियों को खुशी है कि उन्हें कर्तव्य पथ पर होने वाली परेड में शामिल होने का मौका मिल रहा है। उन्होंने इसे अपने और अपने परिवार के लिए गर्व का लम्हा बताया।
आरपीएफ अधिकारियों ने मुश्किल अभ्यास सत्रों के दौरान सामने आई चुनौतियों को याद किया, हालांकि उनका कहना है कि वे 26 जनवरी की परेड में शानदार प्रदर्शन करने के अपने मिशन पर डटे हुए हैं। 26 जनवरी, 1950 को भारत के संविधान को अपनाने का जश्न मनाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी के कर्तव्य पथ पर सालाना गणतंत्र दिवस परेड आयोजित की जाती है।
आरपीएफ आईजी सुमति शांडिल्य ने कहा कि “रेलवे सुरक्षा बल का मार्चिंग दस्ता और बैंड दस्ता कर्तव्य पथ पर मार्च करेगा। उसके लिए लगातार हम करीब दो महीने से मेहनत कर रहे हैं। इस परेड में हमारे रेलवे सुरक्षा बल के दस्ते की मुख्य बातें हैं कि इसमें जो तीन कंटिनजेंट्स कमांडरर्स में दो महिलाएं हैं और हमारे बैंड के बी दो सब कंटिनजेंट कमांडर्स हैं और वो भी दोनों महिलाएं हैं। तो इस तरह से हमने महिलाओं को लीडरशिप रोल में पेश करने की कोशिश की है।”
आरपीएफ मार्चिंग दल के सदस्य पूजा मीणा ने कहा कि “इस बार वाकई में हमारे डिपार्टमेंट ने पहली बार फीमेल दल रखा हुआ है तो ये काफी गर्व का पल है हमारे लिए और ये काफी चुनौतीपूर्ण भी है कि विभाग की हमसे काफी आशाएं हैं और काफी उम्मीदें हैं, मॉर्निंग में हमारा रहता है तीन घंटे और फिर दूसरी शिफ्ट रहती है शाम की वो भी दो घंटे के करीब रहती है। हम अगर रोजाना की बात करें तो 10 किलोमीटर से ज्यादा हमारा हो जाता है मार्च।”
आरपीएफ मार्चिंग दल के सदस्य प्रीति कुमारी ने कहा कि “जिस दिन हम विजय चौक से इंडिया गेट तक आ गए तो मन में ऐसा जोश है कि हम लोग कर सकते हैं, तो हम लोगों को बहुत प्राउड फील हुआ कि जब हम एक पूरा दल का लीडिंग ऑफिसर के तौर पर जब हम काम करेंगे तो हमारे माता पिता और परिवार सब लोगों को बहुत गर्व महसूस होगा।”
इसके साथ ही कहा कि “चुनौती तो बहुत सारी होती है। जैसे अभी परेड के लिए हमें सुबह साढ़े तीन बजे उठना पड़ता है। फिर चार बजे रेडी होकर आना पड़ता है। फिर वहां अपने ग्राउंड में फॉल इन होता है। फिर यहां पर आते हैं। वर्कआउट होता है इतना सारा फिर शाम को हमारे ग्राउंड में तीन बजे से छह बजे तक प्रेक्टिस होती है तो चुनौती तो बहुत सारी है ही और ये ठंड का मौसम।”
“ऐसा कोई भी नहीं है वहां पर जिसे दस्ते में और कमांडर्स में जिसको दर्द नहीं हो रहा होगा। किसी के हील में दर्द है। किसी के थाई में, किसी के यहां पर हैंडस्विंग करते हैं तो सबको कुछ ना कुछ दिक्कत को नजरंदाज करके वो देख भी नहीं रहे हैं कि ये है, बस हमें चलना है। सबसे अच्छा करना है और आरपीएफ को फर्स्ट आना है इस बार।”