Maha Kumbh: आस्था और भक्ति का संगम, महाकुंभ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुरू हो चुका है। ये दिव्य आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा। इन 45 दिनों में करोड़ों श्रद्धालु संगम में स्नान कर पुण्य कमाएंगे।
इस बार का ये पूर्ण कुंभ यानि महाकुंभ इसलिए भी खास है क्योंकि नक्षत्रों का ये संयोग 144 साल बाद आया है, जो कि बहुत ही शुभ हैं। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि “संसार का सबसे बड़ा मेला है महाकुंभ, जिसे यूनेस्को ने अमूर्त धरोहर घोषित किया है। जो विश्व की सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर है। विश्व की सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर के रूप में ये कुंभ का मेला पूरे विश्व को एकता का संदेश देता है। समन्वय का संदेश देता है। ये संदेश देता है कि हम सब बराबर हैं।”
अर्ध कुंभ हर छह साल बाद लगता है जबकि पूर्ण कुंभ 12 साल बाद आता है, कुंभ देश के चार शहरों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में लगता है। 144 साल बाद दुर्लभ संयोग होने की वजह से इस बार का महाकुंभ बहुत खास माना जा रहा है।
परमार्थ निकेतन आश्रम के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि “महाकुंभ है संगम का पावन तट है, 144 साल के बाद ये अवसर आया है, इसलिए इस स्नान को हम व्यर्थ ना जानें दें। ये स्नान केवल स्नान नहीं बल्कि भीतर के स्नान का भी पर्व है।”
हजारों साल से सनातन धर्म की सेवा में जुटे साधु संतों ने कुंभ क्षेत्र प्रयागराज में डेरा डाला हुआ है। इनमें नागा साधु कुंभ में खास महत्व रखते हैं। इन नागा साधुओं के दर्शन पाने के लिए दूर दूर से लोग कुंभ क्षेत्र में पहुंचते हैं।
महाकुंभ के दौरान साधु ध्यान, योग और अपनी अपनी तपस्या का बल दिखाते हैं और इस पुण्य क्षेत्र में लोगों को आशीर्वाद देते हैं और कुंभ के बाद ये साधु अपने अपने ठिकानों पर वापस लौटकर अपनी साधना में जुट जाते हैं
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के रामभारती बाबा ने कहा कि “हमारा तो ये कुंभ निकलेगा तो अगले कुंभ की हम तैयारी कर देंगे। हमारा 2027 में नासिक का कुंभ है। उसके छह-आठ महीने बाद महाकाल का कुंभ है, उज्जैन का, तो अभी ये कुंभ निकलेगा तो अगले कुंभ की तैयारी चालू हो जाएगी, कोई अपना कुटिया में ध्यान करेगा, कोई गुफा में करेगा कोई मठ में करेगा, कोई अखाड़े में करता है।”
महाकुंभ के दौरान शाही स्नान का बहुत ज्यादा महत्व है, इस महाकुंभ में कुल छह शाही स्नान हैं। बड़ी संख्या में नागा साधु महाकुंभ में अनुष्ठान करते हैं। इन पवित्र स्नानों का समय ज्योतिषीय गणना के आधार पर तय किया जाता है। इन मौकों पर स्नान करने वालों को बहुत ज्यादा पुण्य मिलता है। महाकुंभ 45 दिनों तक चलता है। इस दौरान संगमनगरी में आस्था का सैलाब उमड़ता है।