RSS: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा हम संघ में दंड और लाठी चलाना सिखाते हैं, ये झगड़ा करने के लिए नहीं सिखाते।
उन्होंने कहा कि अगर कोई प्रसंग आ जाए तो ये काम आती है। लाठी सीखने से लोगों में वीरता आती है। वे डरते नहीं हैं, लाठी चलाने का प्रशिक्षण इसलिए दिया जाता है, क्योंकि इससे बहादुरी का संचार होता है और दृढ़ रहना सिखाया जाता है।
मोहन भागवत ने कहा, “लाठी चलाने वाले व्यक्ति में वीरता की प्रवृत्ति विकसित होती है और वो डरता नहीं है।” उन्होंने कहा कि लाठी का प्रशिक्षण संकटों में दृढ़ता सिखाता है और व्यक्ति को दृढ़ संकल्प, धैर्य और अटूट शक्ति के साथ मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि “हम दंड सीखते है तो लाठी का प्रदर्शन करने के लिए नहीं सीखते, या झगड़ा करने के लिए नहीं सीखते, सीख गए तो दोनों काम में आती है। प्रदर्शन में भी आती है, निदर्शन में भी आती है। लेकिन प्रदर्शन हमको उत्सव में करना ही पड़ता है और झगड़ा हम करते नहीं है।
परंतु लाठी हम इसके लिए नहीं सीखते। लाठी हम इसके लिए सीखते हैं कि लाठी चला सकते वाले मनुष्य को वीर वृत्ति प्राप्त होती है। वो डरता नहीं है, वो जो शिक्षण है संकटों में दृढ़ रहने का। लाठी प्रशिक्षण संकटों में दृढ़ता सिखाता है और व्यक्ति को दृढ़ संकल्प, धैर्य और अटूट शक्ति के साथ पथ पर चलने के लिए प्रेरित करता है।”