Electric golf: उत्तराखंड के मशहूर हिल स्टेशन मसूरी में मॉल रोड पर प्रशासन ने प्रयोग के तौर पर इलेक्ट्रिक गोल्फ कार्ट चलाना शुरू किया है। मकसद है ट्रैफिक की सुविधा बेहतर करना, प्रयोग को लेकर लोगों का रुख मिला-जुला है। होटल कारोबारी इस पहल का स्वागत कर रहे हैं, लेकिन रिक्शा चलाने वालों को अपनी रोजी-रोटी पर खतरा महसूस हो रहा है, होटल कारोबारियों का मानना है कि इस पहल से गाड़ियों का आना-जाना बेरोकटोक होगा, पर्यावरण प्रदूषण कम होगा और सैलानियों को ज्यादा सुविधा होगी।
मसूरी में दशकों से रिक्शा चल रहा है, रिक्शा चलाने वालों को डर है कि प्रशासन की पहल का असर उनकी कमाई पर पड़ेगा, उनका कहना है कि सैलानी पारंपरिक रिक्शों के बजाय आधुनिक गोल्फ कार्ट का विकल्प चुनेंगे, जिससे उन्हें नुकसान होगा। रिक्शा चलाने वाला सोहन सिंह ने कहा कि “हम एक मजदूर आदमी हैं। गोल्फ कार्ट का जो है खर्चा, हम वहन नहीं कर सकते। सुना है कि उसकी तीन लाख की तो बैट्री है। अच्छी बात है अगर सरकार हमें दे। अब जो है, गोल्फ कार्ट, जो नगरपालिका कह रही है, ये जो है एक गोल्फ कार्ट आठ आदमी को देंगे। तो कहां से हो जाएगा। फिर जो है उसका पार्किंग की व्यवस्था, उसका जो है, चार्जिंग की व्यवस्था, ये जो सारी जो है, एक मजदूर आदमी कहां से कर पाएगा।”
“गोल्फ कार्ट अदर्स कोई चलाएगा या कोई कंपनी चलाएगी, या कोई संस्था चलाती है तो उसको तो हम विरोध करेंगे, क्योंकि पहला रोजगार तो हमें मिलना चाहिए, पहला रोजगार तो हमें मिलना चाहिए। 2017 के बोर्ड में भी ये प्रस्ताव पास हो रखा है कि अगर इस तरह की कोई अगली बार ई-रिक्शा या गोल्फ कार्ट की स्कीम आएगी तो पहली प्राथमिकता मौजूदा श्रमिकों को दे दी जाएगी।”
दूसरी ओर प्रशासन का दावा है कि इस पहल से हिल स्टेशन आने वाले सैलानियों की संख्या बढ़ेगी। रिक्शा चलाने वाले गोल्फ कार्ट के साथ अपना काम कर सकते हैं। उन्हें गोल्फ कार्ट चलाने के लिए प्रशिक्षित भी किया जाएगा, जिससे वे नई पहल का हिस्सा बन सकेंगे। जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा कि “रिक्शा पर कोई प्रतिबंध नहीं है। वो हमारा पहले ट्रांसपैरेंट अरेंजमेंट है। वो चलता रहेगा, लेकिन हमें चेंजिंग टेक्नोलॉजी के साथ इनवॉल्व होना पड़ता है। तो इसलिए कार्ट्स इंट्रोड्यूस की गई हैं। बहुत सारे केसेज में लोकल्स को ही ट्रेनिंग देके एम्प्लॉय किया गया है। तो वही लोग इसको अभी ऑपरेट कर भी रहे हैं। वो जरूर हो सकता है कि उनका जो रेवेन्यू शेयरिंग होगा या उनका ऑनरेरियम होगा, उसपर काम किया जा रहा है।”
सैलानियों और आम लोगों को उम्मीद है कि जल्द ही प्रशासन और रिक्शा चलाने वालों के बीच गतिरोध खत्म हो जाएगा और हिल स्टेशन मसूरी के लिए सैलानियों का रुझान बना रहेगा। होटल कारोबारी अजय भार्गव ने कहा कि “गोल्फ कार्ट एक बहुत ही वेलकम स्टेप है, जिसके लिए यहां हम एडमिनिस्ट्रेशन को बधाई देना चाहेंगे। मसूरी में काफी टाइम से इसकी डिमांड थी। खास तौर से सीनियर सिटिजंस के लिए और हैंडीकैप्ड लोगों के लिए, जो हमारी ट्रेडिशनल साइकिल रिक्शा थी, वो बहुत लिमिटेड सेगमेंट में चल पाती थी। ये गोल्फ कार्ट एक तो देखने में खूबसूरत है, कंफर्टेबल है, सीनियर सिटिजन फ्रेंडली है, हैंडीकैप्ड फ्रेंडली है। तो हम उम्मीद करते हैं कि जो टूरिस्ट आएगा, उसका एक्सपीरिएंस इनहैंस होगा।”
इसके साथ ही कहा कि “ये प्रशासन का अभूतपूर्व पहल है। मुझे लगता है कि मॉल रोड के डेकोरम के लिए और एनवायरमेंट के लिए- दोनों तरफ से फ्रेंडली है। इन फैक्ट यहां पे बहुत ज्यादा ट्रैफिक का प्रॉब्लम होता था, क्योंकि लोग अपनी स्कूटी पे, कार पे मॉल रोड में एंटर करने की कोशिश करते थे। क्योंकि उनमें से ज्यादातर इतना लंबा नहीं चल सकते थे। कम से कम उनके पास गोल्फ कार्ट होगी, जो उन्हें एक जगह से दूसरी जगह तक लेके जाएगी।”