Delhi University: दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ सेंटर में सोमवार को कानून की पढ़ाई कर रहे छात्रों ने सिलेब्स खत्म होने से पहले एग्जाम कराने के लिए खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान छात्रों और पुलिस के बीच हाथापाई भी हुई, छात्रों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया, जिसमें कई छात्र घायल हो गए। हालांकि दिल्ली पुलिस ने इन दावों को खारिज कर दिया है, परीक्षा की तारीख बढ़ाने की मांग को लेकर सुबह से ही सैकड़ों छात्र कैंपस में जमा हो गए थे।
प्रदर्शनकारी छात्रों का दावा है कि सिलेब्स खत्म होने से पहले ही एग्जाम कराए जा रहे है। उनका दावा है कि लॉ फैकल्टी में साल में दो बार एग्जाम कराए जाते हैं, लेकिन उनके साल में तीन बार एग्जाम लिए जा रहे हैं, प्रदर्शनकारी छात्रों के मुताबिक जब उन्होंने लॉ फैकल्टी की डीन से मिलने की कोशिश की तो प्रशासन ने उन्हें रोक किया।
एक छात्र ने कहा, “हम सुबह 10 बजे से ही शांतिपूर्वक धरने पर बैठे थे। हमारी मांग थी कि परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाई जाए, क्योंकि हमारा सिलेब्स अभी पूरा नहीं हुआ है। बार काउंसिल का नियम है कि एक साल में दो सेमेस्टर होने चाहिए। लेकिन यहां एक साल में तीन सेमेस्टर की परीक्षा ली जा रही है। हमें इधर-उधर घुमाया जा रहा था। हमने आवेदन किया था, लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। जब हम डीन के कार्यालय के पास बैठे थे, तो प्रशासन ने कैंपस में घुसकर छात्रों की पिटाई शुरू कर दी। हम पर आंसू गैस के गोले भी दागे गए।”
कैंपस में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात था। दोनों पक्षों के बीच बहस हुई, छात्रों के आरोपों पर लॉ फैकल्टी की डीन अंजू वली टिकू की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। एक पुलिस अधिकारी ने पीटीआई वीडियो को बताया कि कुछ छात्रों ने डीन के कार्यालय को घेर लिया था और उन्हें घर जाने नहीं दे रहे थे। उन्होंने कहा “किसी भी पुलिस कर्मी ने छात्रों पर लाठीचार्ज या आंसू गैस का इस्तेमाल नहीं किया।” डीसीपी (उत्तर) राजा बंतिहा ने कहा, “हमें डीयू प्रशासन और लॉ फैकल्टी की डीन से लिखित में अनुरोध मिला, जिसमें उन्हें फैकल्टी से बाहर निकालने में मदद मांगी गई थी। उन्हें परिसर से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही थी और रात के करीब 11 बजे थे। इसलिए हम परिसर के अंदर गए, कॉरिडोर बनाया। डीन और उनके एक कर्मचारी को परिसर से बाहर निकालने में कामयाब रहे।”
बंतिहा ने कहा, “डीन को परिसर से बाहर निकाले जाने के बाद से छात्र गुस्से में हैं और वे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हम उनसे बात करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि मामले को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाया जा सके।”
प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि “हम लोग सुबह 10-11 बजे प्रदर्शन पर बैठे थे। शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर। हम लोगों की मांग थी कि हमारी जो डेट है एग्जाम का वो बढ़ाया जाए। इसलिए बढ़ाया जाए क्योंकि हमारा जो सिलेबस है वो अभी खत्म पूरा नहीं हुआ है। बार काउंसिल का नियम है कि एक साल में दो सेमेस्टर होगा। लेकिन हमारा फर्स्ट सेमेस्टर का एग्जाम फरवरी में होता है, फिर जुलाई में और फिर दिसंबर में। एक साल में तीन सेमेस्टर में एग्जान लिया जा रहा है। इसी को लेकर शांति पूर्ण प्रदर्शन पर हम लोग बैठे थे। हम लोगों को शाम से घूमाया-फिराया जा रहा है। हम लोगों ने एप्लीकेशन भी दिया लेकिन उस पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई। उसके बाद जब इसी चीज को लेकर जब हम लोग यहां बैठे से रात में डीन मैम के पास, तो प्रशासन जो है वो जबरदस्ती कैंपस में हमारी घूसती है और चार-पांच बच्चों को पकड़ कर मारती-पीटती है। हम पर आंसू गैस का भी प्रयोग किया जाता है।”
डीसीपी (नॉर्थ) राजा बंतिहा ने बताया कि “जो चल रहा था, हम लोगों को उसके बाद डीयू प्रशासन और लॉ फैकल्टी की जो डीन हैं उनकी तरफ से रिक्वेस्ट आई, कि उन लोगों को वहां से निकाला जाए। उन लोगों को वहां से जाने नहीं दिया जा रहा और बहुत समय हो गया था। रात के करीब 11-12 हो गए थे। मैम ने जब हम लोगों को फोर्स के लिए बोला कि आप लोग आइए हम लोगों को यहां से बाहर निकालिए। उसके बाद हम लोग अंदर गए और कॉरिडोर बना करके जो डीन थी यहां की लॉ फैकल्टी की उनको साथ एक और स्टाफ था उनको निकाला गया और यहां से भेजा गया।”