Sambhar lake: राजस्थान की सांभर झील भारत की सबसे बड़ी अंतर्देशीय खारे पानी की झील है। इन दिनों सांभर झील में राजहंस चहचहा रहे हैं। यहां हर साल अक्टूबर से फरवरी तक मध्य एशिया और साइबेरिया से प्रवासी चिड़ियां आती हैं।
इन दिनों ये झील भारी संख्या में खूबसूरत गुलाबी चिड़ियों से गुलजार है, जानकारों का कहना है कि विशाल झील का खारा पानी और बेरोकटोक वातावरण राजहंस के अनुकूल है। यहां उन्हें मनपसंद खुराक और घोंसला बनाने की पूरी सुविधा मिलती है।
सांभर झील में राजहंस के अलावा बत्तख, वेडर और बगुला समेत कई किस्म की प्रवासी चिड़ियां आती हैं, जानकारों का अनुमान है कि झील में हर साल 100 से 200 किस्म के प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं।
वन अधिकारियों ने बताया कि प्रवासी चिड़ियों में लुप्तप्राय किस्में भी शामिल होती हैं। उनकी सुरक्षा पर खास ध्यान दिया जाता है। प्रवासी चिड़ियां आने के साथ सांभर झील चिड़ियां प्रेमियों की भी पसंदीदा जगह बन जाती है। सांभर झील पारिस्थितिकी के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है।
बर्ड गाइड गौरव शर्मा ने कहा कि “सांभर में जो बर्ड माइग्रेशन का समय होता है, वह सितंबर से लेकर मार्च तक का माना जाता है। इसमें तीन तरह से बर्ड माइग्रेट करके आते हैं। जिसमें पैसेज माइग्रेंट है, विंटर माइग्रेंट है और रिटर्न माइग्रेंशन है। नवंबर से लेकर दिसंबर और फरवरी तक के महीने होते हैं, उसमें सबसे ज्यादा विंटर माइग्रेशन देखा जाता है, जिसमें सबसे ज्यादा माइग्रेशन लेसर और ग्रेटर फैल्मिंगो की होती है, जो लाखों की संख्या में सांभर में आते हैं।”
“कई तरह की बत्तखें हैं, जिसमें नॉर्दन साउलर, पिंक टेल औऱ जैसे सुर्खाब जिसे कॉमन शेल्डर या रूडी शेल्डर के नाम से भी जाना जाता है। इस तरह की बत्तखें यहां आती हैं, इसके अलावा कई तरह के छोर पर रहने वाले पक्षी भी यहां आते हैं।यहां कम से कम हर साल 100 तरह की प्रजातियां होती हैं, जिसमें से कई दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं।”
जयपुर के डीएफओ वी. केतन कुमार ने बताया कि “विभाग की तरह से वहां पर सुरक्षा के लिए हम ये देखते हैं कि कोई अवैध शिकार न हो, इसके लिए रेगुलर पेट्रोलिंग होती है। कोई भी जैसे वर्ड घायल होती है तो वहां पर हमारी लोकल वेटनरी टीम है, उन्हें रेस्क्यू सेंटर में ट्रीटमेंट कराके छोड़ते हैं।”