Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में नारायणपुर जिले का अबूझमाड़ इलाका ऐतिहासिक बदलाव का गवाह बन रहा है। दूरदराज में घने जंगलों के बीच ये इलाका पहाड़ी है, आजादी के बाद पहली बार इस इलाके में चार गांवों के बच्चों को सरकार की नियाद नेल्नार योजना के जरिये पढ़ाई का मौका मिला है।
पहले ये इलाका नक्सली हिंसा की चपेट में था। दुनिया से अलग-थलग होने की वजह से यहां विकास नहीं हो पाया। शिक्षा के साधन तो दूर की कौड़ी थे, अब नक्सली असर कम हो गया है। उन चार गांवों में स्कूल खुल गए हैं, जहां पहले शिक्षा का कोई साधन नहीं था।
गांवों में स्कूल खुलने से बच्चे और उनके माता-पिता खुशी और उत्साह से सराबोर हैं, इन गांवों में शिक्षा का आना बेहद महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही डर और अलगाव का जाल टूटना शुरू हो गया है, गांवों के लोगों के उत्साह से साफ है कि वे कुछ नया सीखने और विकास के मौकों का फायदा उठाने को बेताब हैं।
विकासखंड शिक्षा अधिकारी डी. बी. रावटे ने कहा कि “आजादी के बाद से पहली बार स्कूल खुले हैं। इसलिए, क्योंकि ये गांव घोर नक्सल प्रभावित इलाका और बीहड़ क्षेत्र रहे हैं, जिसके कारण यहां पर स्कूल नहीं खुल पाया था। जैसे ही स्कूल खुला है तो गांव वालों में काफी खुशी है। ये चार गांव हैं- टोयामेटा, जड्डा, ईरकभट्टी, ताड़ोबेड़ा।”
इसके साथ ही शिक्षकों ने बताया कि “ताड़ोबेड़ा में अभी स्कूल संचालित है। यहां नौ बच्चे दर्ज हैं और स्कूल जो है, गोटुल में संचालित है। बच्चे बहुत ही उत्साहित हैं और आकर पढ़ रहे हैं। तो अभी शासन की ओर से जल्द इस साल स्वीकृत होने की उम्मीद है और बच्चों को मध्याह्न भोजन भी दिया जा रहा है।”