Nainital: उत्तराखंड में धारचूला से हल्द्वानी तक करीब 300 पुरानी धर्मशालाएं हैं, माना जाता है कि इन्हें 20वीं सदी के शुरू में जसुली देवी नाम की एक धनी महिला ने बनवाया था।
राज्य पर्यटन विभाग अब इन धर्मशालाओं को संग्रहालयों या कैफे में बदलने में जुटा है। नैनीताल जिले के अल्मोडा रोड पर ऐसे ही एक धर्मशाला पर काम चल रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता इस पहल की तारीफ कर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे यहां रोजगार के नए मौके पैदा होंगे और लोगों का पलायन रोकने में मदद मिलेगी।
धर्मशालाओं की परंपरा पूरे भारत में है। धर्मशालाओं में यात्रियों, खास कर तीर्थयात्रियों को मुफ्त या किफायती कमरे और खाना देने की सुविधा होती है।
जिला पर्यटन अधिकारी अतुल भंडारी ने बताया कि “एक धर्मशाला खीनापानी क्षेत्र में है, जिसको पर्यटन विभाग ने डेवलप किया है। आराउंड 196 लाख का प्रोजेक्ट था, जिसमें उसको डेवलप किया गया है। म्यूजियम की तरह उसको चलाने की कवायद है। साथ ही साथ एक कैफेटेरिया टाइप का और एक एंगलिंग सेंटर- तीनों को वहां पे डेवलप किया है। अभी ये तीनों कम्प्लीट हो गया है। अब इसका जो है, हमें अनुमति प्राप्त करनी है कि इसको हम समिति के माध्यम से संचालित करें।”