Kolkata: पीले रंग की एंबेसडर टैक्सियां कभी ‘सिटी ऑफ जॉय’ के नाम से मशहूर पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर की पहचान हुआ करती थीं। लेकिन समय के साथ अब ये धीरे-धीरे सड़कों से गायब होती जा रही हैं। इस हिंदुस्तानी एंबेसडर टैक्सी को कभी कोलकाता की लाइफलाइन कहा जाता था। लोग इसे “यलो कैब’ के नाम से जानते हैं, लेकिन हाल के सालों में ये धीरे-धीरे कम होती जा रही हैं। कहा जा रहा है कि शहर की 50 फीसदी से ज्यादा पीली टैक्सियां चलना बंद हो जाएंगी।
इसकी अहम वजह बढ़ती रखरखाव लागत और सख्त प्रदूषण नियम हैं। इनमें से ज्यादातर गाड़ियां ऐसी हैं जो करीब 15 साल पुरानी हैं, पश्चिम बंगाल सरकार के इस फैसले ने टैक्सी ड्राइवरों की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है।
कोलकाता के लोगों को भी पीली टैक्सियों के बंद होने का दुख है। कई लोगों का मानना है कि ऑनलाइन कैब सर्विस कभी भी पीली टैक्सियों की जगह नहीं ले पाएगीं। ड्राइवरों ने ऐप-आधारित टैक्सियों के सर्ज प्राइसिंग को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन कैब कभी भी एंबेसडर कार की मजबूती और विश्वसनीयता से मेल नहीं खा सकती।
इन पीली टैक्सियों के बंद होने से कोलकाता की सड़कों की पुरानी यादें हमेशा के लिए ओझल हो जाएंगी। वो लोग जो खुद को एंबेसडर टैक्सियों से जुड़ा समझते थे उनके जीवन में खालीपन महसूस होगा।
पश्चिम बंगाल टैक्सी एसोसिएशन के महासचिव असीम बोस ने कहा कि “पहले से तय किया गया है कि 15 साल के बाद कोई भी गाड़ी नहीं चलेगा। ये ध्यान में रखते हुए कि पॉल्यूशन इश्यू है। ये ध्यान में रखते हुए 15 साल से अधिक गाड़ी नहीं चलेगा, तो इस हिसाब से 2024 नहीं, 2025 के आखिर तक दिसंबर के अंत तक हम लोग ये कैलकुलेशन किए हैं कि जिसमें देखा जाएगा कि 2025 दिसंबर के बाद बहुत ही एक दम विलुप्त हो जाएगा यलो टैक्सी।”
यात्रियों का कहना है कि “प्रॉब्लम तो बहुत हो जाता। अभी तो ऐसा करके बंद करना नहीं चाहिए। क्या है कि पीला टैक्सी हैरिटेज है हम लोगों का। कलकत्ता का हैरिटेज है। इसको बंद करना मतलब हम लोगों को बहुत असुविधा होगा। भाड़ा भी कम है और हम लोगों को व्यवस्था भी अच्छी है। आने-जाने के लिए सुविधा है। ओला-उबर से अच्छा है। ओला-उबर में भाड़ा ज्यादा है। हम लोगों को समझ नहीं आता ओला-उबर का।”