Constitution: भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि आजादी के बाद से एक आत्मविश्वासी राष्ट्र के रूप में उभरने की भारत की “परिवर्तनकारी यात्रा” में संविधान की अहम भूमिका रही है।
खन्ना ने कहा, “आजादी के बाद से भारत ने एक परिवर्तनकारी यात्रा की है। एक ऐसे राष्ट्र से जहां विभाजन की भयावहता, गरीबी और भूखमरी, मजबूत लोकतांत्रिक प्रणाली की कमी, जिसके परिणामस्वरूप आत्म-संदेह होता था। भारत आज एक परिपक्व देश के रूप में उभरा है, एक आत्मविश्वासी राष्ट्र, एक जियोपॉलिटिकल लीडर और इसके पीछे भारत का संविधान है जिसने इस परिवर्तन में मदद की है। ये आज जीवन जीने का एक तरीका है।”
सीजेआई संविधान दिवस पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के कार्यक्रम में बोल रहे थे, कार्यक्रम में वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल भी शामिल हुए।
सिब्बल ने कहा, “हमारा मानना है कि कानून का अनुशासन समाज के व्यवस्थित विकास को सुनिश्चित करने, कानून के शासन को बनाए रखने, न्याय को बढ़ावा देने, स्वतंत्रता की रक्षा करने और बुनियादी मानव अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सभी संघर्षों के आधिकारिक और शांतिपूर्ण समाधान के लिए आवश्यक है।”
हर साल 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ मनाया जाता है। 1949 को इसी दिन संविधान को अपनाया गया था, जो 26 जनवरी 1950 को भारत में लागू हुआ। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने बताया कि “आजादी के बाद से भारत ने एक परिवर्तनकारी यात्रा की है। एक ऐसे राष्ट्र से जहां विभाजन की भयावहता, गरीबी और भूखमरी, मजबूत लोकतांत्रिक प्रणाली की कमी, जिसके परिणामस्वरूप आत्म-संदेह होता था। भारत आज एक परिपक्व देश के रूप में उभरा है, एक आत्मविश्वासी राष्ट्र, एक जियोपॉलिटिकल लीडर और इसके पीछे भारत का संविधान है जिसने इस परिवर्तन में मदद की है। ये आज जीवन जीने का एक तरीका है।”
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल का कहना है कि “हमारा मानना है कि कानून का अनुशासन समाज के व्यवस्थित विकास को सुनिश्चित करने, कानून के शासन को बनाए रखने, न्याय को बढ़ावा देने, स्वतंत्रता की रक्षा करने और बुनियादी मानव अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सभी संघर्षों के आधिकारिक और शांतिपूर्ण समाधान के लिए आवश्यक है।”