Varanasi: शिवनगरी के नाम से मशहूर उत्तर प्रदेश के वाराणसी में दुनिया भर से रिकॉर्ड तादाद में सैलानी घूमने के लिए पहुंच रहे हैं। 2023 में साढ़े आठ करोड़ से ज्यादा सैलानी यहां पहुंचे थे लेकिन इस साल ये शहर देश के सबसे बड़े पर्यटन स्थलों में से एक बन चुका है।
2024 की पहली छमाही में, चार करोड़ 61 लाख सैलानी वाराणसी पहुंचे। वाराणसी से आगे सिर्फ अयोध्या ही दिखता है जहां इस साल अब तक 11 करोड़ लोग पहुंच चुके हैं।
पवित्र गंगा नदी के तट पर बसा बनारस या काशी दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है, ऐसा माना जाता है कि ये धार्मिक स्थल, मृत्यु के बाद मोक्ष देता है और जिंदा लोगों को खास आध्यात्मिक अहसास कराता है। साथ ही ये चिंतन और उत्सव की झलक दिखाने वाला शहर भी है।
राजेंद्र रावत, उप-निदेशक पर्यटक विभाग “यहां जो आध्यात्मिक पर्यटन के लिए जो बनारस प्रसिद्ध है इसमें बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते हैं, जो बड़ी संख्या में दर्शन-पूजन करते हैं, यहां की आरती बहुत फेमस है, यहां के घाट, यहां के क्रूज और सारनाथ जो विश्व प्रसिद्ध स्थल है इसमें जो भी विकास हुआ है उसको देखने के लिए, उसको समझने के लिए बड़ी संख्या में टूरिस्ट आ रहा है।”
शहर के लोगों का कहना है कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बनने, बेहतरीन होटलों की संख्या बढ़ने और गंगा नदी पर क्रूज की सवारी समेत वाराणसी में हो रहा लगातार विकास लोगों को अपनी ओर खींच रहा है। पर्यटन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, वाराणसी में साल के आखिर तक पिछले साल के मुकाबले लगभग दोगुनी संख्या में सैलानियों के पहुंचने की उम्मीद है।
पर्यटक विभाग के उप-निदेशक राजेंद्र रावत ने बताया कि “अगर बात करें उत्तर प्रदेश पर्यटन की दृष्टि से तो इस समय यूपी फर्स्ट पोजिशन पर है डोमेस्टिक टूरिज्म में।सबसे अधिक घरेलू पर्यटक उत्तर प्रदेश आ रहे हैं, पहले ये आंकड़ा कभी तमिलनाडु का हुआ करता था। विगत चार-पांच वर्षों से उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है और उसमें सबसे बड़ा श्रेय अयोध्या और बनारस का है। बनारस में कॉरिडोर बनने के बाद जो पर्यटकों की संख्या है इसमें बहुत तेजी से वृद्धि हुआ है और बड़ी संख्या में टूरिस्ट आ रहे हैं यहां चाहे वो सावन का महीना हो या पूरे वर्ष की बात करें या देव दीपावली की बात करें तो बड़ी संख्या में टूरिस्ट बनारस आ रहे हैं।”