Delhi pollution: दिल्ली में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब दर्ज की जा रही है, दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के कहर को कम करने के इरादे से आर्टीफिशयल रेन यानी कृत्रिम बारिश का प्रस्ताव पास कर दिया है।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने की अपील की है। मौसम वैज्ञानिक गुफरान उल्ला बेग ने बताया कि “यह बहुत जटिल मुद्दा है लेकिन एक बात बिल्कुल स्पष्ट है कि कृत्रिम बारिश कराने के लिए आपके पास बीजारोपण करने वाले बादल होने चाहिए। मूल रूप से, कृत्रिम बारिश क्या होती है जब आपके पास एक प्रकार का बीजारोपण बादल होता है जो पानी का अणु होता है, तो आप वहां कुछ प्रकार का सिल्वर आयोडाइड या कुछ प्रकार का मिश्रण डालते हैं जो इसे अवक्षेपित करता है और फिर बूंदों या बर्फ के क्रिस्टल के बजाय , बारिश हो जाती है. लेकिन उसके लिए, आपके पास एक बीजारोपण बादल होना चाहिए। आकाश में उपलब्ध सभी बादल या सभी पानी की बूंदें बीजारोपण करने वाले बादल नहीं हैं।”
कृत्रिम बारिश क्लाउड सीडिंग के जरिए कराई जाती है। इस तकनीक से बारिश या बर्फ पैदा करने की क्षमता को बढ़ाया जाता है। ऐसा करने से एक निश्चित इलाके में कृत्रिम बारिश कराई जाती हैै। क्लाउड सीडिंग की मदद से कृत्रिम बारिश की पहली कोशिश 1946 में न्यूयॉर्क के एक केमिस्ट विंसेंट शेफ़र ने की थी।
जानकारों की मानें तो दिल्ली में गंभीर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक आपातकालीन उपाय के रूप में क्लाउड सीडिंग के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं।क्लाउड सीडिंग के नए तरीकों में इलेक्ट्रिक चार्ज देने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करना भी शामिल है। इससे कण निर्माण को प्रेरित करने के लिए बारिश या लेजर पल्स के लिए दबाव बढ़ाना होता है। दोनों के लिए सटीक तकनीक और परिस्थितियों का होना बहुत जरूरी है।
दिल्ली सरकार क्लाउड सीडिंग पर विचार कर रही है। जानकार बता रहे हैं कि क्लाउड सीडिंग से इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि टारगेट एरिया में बारिश होगी ही, एक्सपर्ट का यह भी तर्क है कि दिल्ली में प्रदूषण के मुद्दे के लिए आपातकालीन उपायों के बजाय ज्यादा टिकाऊ विकल्पों की दरकार है।