Jhansi: झांसी का आग हादसा, मौके पर मौजूद चश्मदीद बने जीवन रक्षक

Jhansi: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के झांसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने की घटना पर शोक व्यक्त किया, जिसमें 10 नवजातों की मौत हो गई। लगने से कम से कम 10 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 16 दूसरे घटना में घायल ह गए, जब झांसी मेडिकल कॉलेज में आग लगी, तो कई लोग अपनी जान बचाने के लिए वॉर्ड में गए, और जान जोखिम में डालकर आग में फंसे कुछ नवजातों को बचाया। वहीं लोकल के रहने वाले गोविंद दास ने कई नवजातों की जिंदगी बचाई, वो अस्पताल में भर्ती अपनी पोतियों को लेने के लिए गए हुए थे।

चश्मदीद गोविंद दास दास ने कहा कि “हमारी बच्ची थी यहां पर, सो उसे लेने आए थे और फिर वो जो वहां पर सिलेंडर आती है न, उसमें वो पाइप फिट कर रही थी। वो तीली थी वहां पर माचिस की तीली थी। वो फिट कर रही थी पाइप, वो गैस सिलेंडर में। फिर हम भाग के आए, फिर हमें दिखाई दिया, वो डॉक्टर साहब बच्चा फेकने लगे। फिर वो तीन, उसमें एक हमारा था और एक जीतू यादव का था। वो मिला वहां, वो बताया कि मैं जीतू यादव हूं, ये मेरा बच्चा है। उसमें लिखा था उसका। तीनों को बांध के ले गया तौलिया में, फिर हम वहां पहुंच गये लेकिन फिर हमें भीतर नहीं जाने दिया। यहां तो कम से कम तीस-चालीस बच्चे थे। आग यहां से अंदर से लगा। मैंने बचाया तीन बच्चों को, एक को मेरे भतीजे ने बचाया। चार बच्चे लेकर गए थे हम। वो डो डॉक्टर साहब हैं, जो हमें बच्चों का परमिशन देते हैं, उन्होंने काफी मेहनत की। उन्होंने बहुत बच्चे निकाले।”

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि “हमारी बच्ची थी यहां पर, सो उसे लेने आए थे। और फिर वो जो वहां पर सिलेंडर आती है न, उसमें वो पाइप फिट कर रही थी। वो तीली थी वहां पर माचिस की तीली थी। वो फिट कर रही थी पाइप, वो गैस सिलेंडर में। फिर हम भाग के आए, फिर हमें दिखाई दिया, वो डॉक्टर साहब बच्चा फेकने लगे। फिर वो तीन, उसमें एक हमारा था और एक जीतू यादव का था। वो मिला वहां, वो बताया कि मैं जीतू यादव हूं, ये मेरा बच्चा है। उसमें लिखा था उसका। तीनों को बांध के ले गया तौलिया में। फिर हम वहां पहुंच गये लेकिन फिर हमें भीतर नहीं जाने दिया। यहां तो कम से कम तीस-चालीस बच्चे थे। आग यहां से अंदर से लगा। मैंने बचाया तीन बच्चों को, एक को मेरे भतीजे ने बचाया। चार बच्चे लेकर गए थे हम। वो डो डॉक्टर साहब हैं, जो हमें बच्चों का परमिशन देते हैं, उन्होंने काफी मेहनत की। उन्होंने बहुत बच्चे निकाले।”

गोविंद दास के भतीजे ने भी एक नवजात की जिंदगी बचाई, वहीं महोबा के रहने वाले एक और शख्स ने घटना के बाद कहा कि वो बच्चे के बेहतर इलाज के लिए झाँसी आया था। लेकिन उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि यहां वो अपने बच्चे को खो देगा।

उसने कहा, “सर, मैं तो बाहर गया था, बाहर से जैसे आया, इधर तो आग लगी थी। भागते-भागते आया, कोई कहीं से भाग रहा है, कोई कहीं से बच्चे लेकर भाग रहा है। सर, मैंने भी बच्चों को बचाया। चार-पांच बच्चे मैं भी बचाकर लेकर आया हूं। डॉक्टर लोग मना कर रहे थे, नहीं बच्चे अंदर नहीं जाना है। मैंने बोला सर मेरा बच्चा है, मैं जाऊंगा। भागते-भागते अंदर गया। तभी कुछ नहीं दिखाई दे रहा था। तब भी मैंने बच्चे बचाए लेकिन अभी तक मेरे बच्चे की कोई खबर नहीं है। 50 से प्लस थे बच्चे, डॉक्टर लोग भी बेचारे परेशान थे, मैम भी थीं। मना कर रहे थे अंदर जाने से, तुम अंदर नहीं जाओगे। मैंने कहा सर क्यों नहीं अंजर जाएंगे, अंदर जाएंगे, हमारे बच्चे हैं। बच्चे बचाने के लिए। फिर मैं अंदर गया। दूसरों के बच्चों को बचाया, मेरा बच्चा खुद नहीं बचा, मिल ही नहीं रहा। पहचान नहीं पाए, रात से कोई खबर नहीं मिला है, मेरा बच्चा मिलेगा या नहीं। क्या उम्मीद लगाएं, किससे उम्मीद लगाएं, मिलेगा या नहीं मिलेगा। हम महोबा जिला से, कबरेज के पास से लेकर आए थे। महोबा जिला से लाए थे। चलो यहां बच्चे का अच्छा इलाज होता है। इसलिए लाए थे। बताइये लापरवाही से मेरा बच्चा चला गया, मेरा पहला ही बच्चा था।”

घटना के बाद एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी मृतक के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की है।

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