Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर में बांदीपोरा जिले की गुरेज घाटी का इलाका भारी बर्फबारी की वजह से तकरीबन छह महीने तक सूबे के दूसरे हिस्सों से कट जाता है। इतनी भयानक सर्दियों से निपटने के लिए आज भी इलाके के लोग पुराने तरीकों को ही अपनाते हैं।
किसान ताज़ी सब्ज़ियों, खास तौर पर आलू को सर्दियों में सुरक्षित रखने के लिए मिट्टी के नीचे दबा देते हैं, इसके लिए सब्जियों को घास या पुआल के साथ परतों में लपेटने के बाद गहरे गड्ढे में दबा दिया जाता है। इससे सब्जी कई महीनों तक खराब नहीं होती हैं। हजारों फीट की ऊंचाई पर रहने वाले लोगों के लिए ये तरीके जिंदगी जीने में बहुत सहायता करते हैं।
गुरेज़ के किसान भी ऑर्गेनिक खेती के तरीकों पर भरोसा करते हैं। बिना किसी सिंथेटिक रसायन का इस्तेमाल किए बगैर वे प्राकृतिक तरीकों से खेती करते हैं, पीढ़ियों से चली आ रही यह पारंपरिक भंडारण विधि, सड़कें बंद होने और बाहर से सप्लाई बंद होने पर भी इलाके में सब्जियों की कमी नहीं होने देती।
किसान अब्दुल खालिक ने बताया कि “यहां जो ये ही एक जगह है गुरेज जो लोग आलू को बड़ा गड्ढा खोदते हैं क्योंकि जमीन के अंदर रखते हैं क्योंकि उसका जो मॉइस्चराइजर है वो हमेशा ऐसा ही रहता है और खराब होने का बिल्कुल जीरो परसेंट चांस होता है। तो इस रिजन से हम लोग यहां रखते हैं जब भी हमें नीड होती है तो थोड़ा निकालते हैं और खाने के लिए इस्तेमाल करते हैं।”
इसके साथ ही कृषि अधिकारी ने बताया कि “थोड़ा-थोड़ा करके निकालते हैं उससे वो अपना कंजेक्शन के लिए लाते हैं। गुरेज का जो इलाका है उसमें हमारे लगभग छह हजार 500 कैनाल के करीब जो है वो आलू की खेती के लगे हुए हैं। वो एवरेज प्रोडक्शन वहां की है जो हमें वहां पर नोट की है 10 क्विंटल पर कैनाल के छह हजार 500 मैट्रिक टन के करीब वहां पर प्रोडक्शन होती है।”