Srinagar: जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में कश्मीर सूफी और लोक संगीत महोत्सव का आयोजन किया गया। कश्मीर संगीत क्लब के सहयोग से जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी की ओर से आयोजित ये कार्यक्रम पिछले 14 सालों से कश्मीर के सांस्कृतिक कैलेंडर का हिस्सा है, जिसका मकसद कश्मीरी कला, संगीत और संस्कृति को बढ़ावा देना और उसे संरक्षित करना है।
‘शीशरंग’ के बैनर तले आयोजित इस महोत्सव में घाटी के प्रतिभाशाली संगीतकारों और गायकों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। जिसमें पारंपरिक कश्मीरी वाद्ययंत्र बजाए गए और अलग-अलग इलाकों के लोकगीत गाए गए।
कार्यक्रम के आयोजकों को भरोसा है कि महोत्सव न केवल कश्मीर के पारंपरिक संगीत को बढ़ावा देगा बल्कि युवा कलाकारों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से फिर से जुड़ने के लिए एक मंच भी बनेगा।
जम्मू कश्मीर के विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर ने कहा कि “यह जो प्रोग्राम आपने आज देखा होगा, सबने पसंद किया। जो भी इनकी समस्या होगी इस फन को आगे ले जाने में सरकार का जो रोल बनता है, मैंने कहा कि सरकार के सामने उसे दूर करने के लिए अपील करूंगा। इनकी समस्याओं को दूर करने की भरपूर कोशिश करेंगे।”
“इस प्रोग्राम शीशरंग के बारे में बोलूंगी कि इसमें पूरी तरह से कअमीर के फोक को प्रमोट किया जा रहा है, कश्मीर के आर्ट को प्रमोट किया जा रहा है। इस बार तो थोड़ा अलग ही हो रहा है क्योंकि ये पूरी तरह से कश्मीर के फोक और कल्चर पर है। फैक्ट ये है कि ये लगभग 14 सालों, लगभग दो दशकों से जारी है, ये बहुत अच्छा काम है।”
इसके साथ ही गायक और आयोजक वहीद जिलानी ने बताया कि “एक ही म्यूजिक फेस्टिवल सबसे बड़ा होता जम्मू कश्मीर में हर साल, जो है शीशरंग फेस्टिवल के नाम से, इसमें करीब सवा सौ आर्टिस्ट पर्फॉर्म करते हैं। एक म्यूजिक कॉन्फ्रेंस होती है। एक अवॉर्ड सेरेमनी होता है। तो ये एक ट्रेडमार्क बना है जम्मू कश्मीर में शीशरंग के नाम से, जिसका मिशन एक ही कि अपनी रवायत को पिजर्व करना, सूफी कल्चर को सहेजना।”