Ekadashi: उत्तर भारत में आज देवउठनी एकादशी का पावन पर्व मनाया जा रहा है, हरिद्वार से लेकर संगम नगरी प्रयागराज तक मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। उत्तराखंड के पवित्र शहर हरिद्वार में हर की पौड़ी पर सैंकड़ों श्रद्धालु गंगा स्नान करने पहुंचे, कहा जाता है देवउठनी के दिन गंगा स्नान करने का खास महत्व है।
मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन से विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। देवउठनी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। कार्तिक महीने में पढ़ने वाली देवउठनी एकादशी को कार्तिक एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं और व्रत रखते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि आज के दिन भगवान विष्णु चार महीने की ध्यान मुद्रा से जगते है। आज ही के दिन उनका विवाह माता तुलसी के किया गया था। भगवान राम की नगरी अयोध्या में देव उठानी एकादशी के मौके पर पंचकोश की परिक्रमा की गई। इस 14 कोसी परिक्रमा में 30 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे।
पंचकोश की परिक्रमा के साथ सरयू के तट पर सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने स्नान कर एकादशी के मौके पर दान पुण्य भी किया, ऐसी मान्यता है कि कार्तिक अक्षय नवमी पर भगवान श्रीराम की नगरी की परिक्रमा करने से सभी पाप धुल जाते हैं, हिंदू कैलेंडर के मुताबिक एक साल में 24 बार एकादशी का व्रत रखा जाता है। हर महीने में दो बार एकादशी आती है। लेकिन देवउठनी एकादशी को सबसे खास माना जाता है।
पुजारी बताते हैं इस साल साल दिसंबर तक शादी-विवाह के 19 मुहूर्त हैं। देवउठनी एकादशी के बाद मांगलिक कार्य 12 नवंबर से शुरू होकर 15 दिसंबर तक चलेंगे। श्रद्धालुओ का कहना है कि “देवउठनी एकादशी है आज। उसी उपलक्ष्य में आए हैं आज। भगवान श्री राम की कृपा और सरयू नहर की असीम कृपा है कि हम लोगों को सरयू स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसके बाद हनुमानगढ़ी और रामलला के दर्शन भी करेंगे। बहुत अच्छा बहुत बढ़िया। व्यवस्थाएं सही हैं।”
हीरानंद पांडे, पुजारी, गंगा घाट “आज का पर्व का नाम देवउत्थान एकादशी है। आज के दिन विष्णु भगवान उठ रहे हैं, चार महीने से सोए हुए थे, आषाढ़ से विष्णु शयनी एकादशी के दिन वो सो जाते हैं।चातुर्मास प्रारंभ हो जाता है। चार महीने तर सोए रहते हैं, आज वो उठेंगे, उनका तुलती से विवाह होगा, जितने भी मांगलिक कार्य हैं वो आज से शुरू हो जाएंगे। मुंडन है, विवाह है, जनऊ है, गृह प्रवेश है, मकान का नवनिर्माण है ये होता है आज के दिन।
एकादशी का लोग व्रत करते हैं और सूप वगैरा सजा के हार वगैरा रख के भगवान विष्णु का पूजन करते हैं। और उनको उठाने का प्रयास करते हैं, मतलब की उठाने की विधि को पूर्ण करते हैं।”