Australia: ऑस्ट्रेलिया 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर लगाएगा बैन

Australia: ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने एक बड़े फैसले का ऐलान किया है जो दुनिया भर के देशों के लिए मिसाल बन सकता है। ऑस्ट्रेलिया एक ऐसा कानून लाने जा रहा है जिसके लागू होने के बाद देश में 16 साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।

इस कानून के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को जिम्मेदारी उठानी होगी कि 16 साल से कम आयु वर्ग के बच्चे इनका इस्तेमाल ना कर सकें। ऑस्ट्रेलिया के राज्यों और क्षेत्रों ने शुक्रवार को इस नेशनल प्लान पर अपनी सहमति जताई, भारत में अभिभावकों और शिक्षकों समेत बड़ी तादाद में लोगों ने ऑस्ट्रेलिया में की जा रही इस पहल को अच्छा कदम बताया है।

अभिभावकों का कहना है कि “आज का जो युवा है, खासकर ये कच्ची मिट्टी बोलते हैं इनको, ये जो उम्र होती है 16 साल से नीचे वाली, ये एक ऐसी उम्र है जिसमें बच्चे का ध्यान सिर्फ अपनी पढ़ाई, करियर को लेकर होना चाहिए और कहीं ना कहीं ये जब आप सोशल मीडिया के ऊपर जाने लग जाते हैं फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट तो आप अपने विषय से भटक जाते हैं।”

कुछ बच्चों ने भी प्रतिबंध का समर्थन किया और सुझाव दिया कि सोशल मीडिया और स्मार्टफोन का इस्तेमाल रिसर्च और पढ़ाई से जुड़ी चीजों के लिए किया जाना चाहिए। छात्राओं का कहना है कि “मुझे लगता है कि इसे कुछ हद तक भारत में भी लागू किया जाना चाहिए क्योंकि आजकल बच्चे पूरी तरह से अपने फोन पर निर्भर हो गए हैं। वे गेमिंग कर रहे हैं। फ़ोन इस्तेमाल करने का ये कारण नहीं होना चाहिए। फ़ोन का इस्तेमाल रिसर्च और पढ़ाई के लिए किया जाना चाहिए क्योंकि जब हम उसी उम्र के थे, तो हम इसका इस्तेमाल रिसर्च और पढ़ाई के लिए करते थे। इसलिए बच्चों को भी अब सबसे पहले शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए। बुलिंग भी बहुत ज्यादा होती है, इंस्टाग्राम पर भी होती रहती है और बहुत ज्यादा केस भी आते हैं ना, जैसे ओमेगल बैन हो गया क्योंकि छोटी उम्र के बच्चे जा रहे हैं वहां और एडल्ट चीजें हो रही हैं। तो मुझे लगता है कि ये उनकी मेंटल हेल्थ को इफेक्ट करता है।

“मैं समझती हूं कि ऑस्ट्रेलिया सरकार ने जो ये किया है ठीक ही किया होगा क्योंकि आजकल के बच्चे जो हैं इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर के बहाने वो पढ़ नहीं पा रहे हैं और फोन में वो यही सब चीजें देखते हैं। उसके अलावा वो ज्ञान की चीजें नहीं देख पाते हैं फोन में। इसलिए ऑस्ट्रेलिया सरकार ने ठीक किया है। मुजे लगता है कि भारत सरकार को भी ऐसा कर देना चाहिए क्योंकि भारत में भी बच्चे ऐसा कर रहे हैं।”

इसके साथ ही छात्रों ने कहा कि “यह सब कुछ यहां पर बैन हो जाना चाहिए। 12 साल के नीचे के बच्चों को तो बिल्कुल फोन नहीं देना चाहिए, ताकि उनका वो मानसिक संतुलन बिगड़ता है, पढ़ाई में ध्यान नहीं लगता उनका, फोन में लगे रहते हैं खासकर बच्चे, फोन चलाओ तो पर वो लोग पढ़ाई के लिए यूज करें फोन पर वो लोग ज्यादा रील देखते हैं, गेम खेलते हैं।”

हालांकि जानकारों का मानना है कि पूरी तरह से प्रतिबंध बच्चों को सोशल मीडिया के इस्तेमाल से बेहतर तरीके से नहीं रोक पाएगा। उनके मुताबिक ये उन्हें न सिर्फ इसका ज्यादा इस्तेमाल करने के लिए उकसाएगा बल्कि प्रतिबंधों से बचने के तरीके खोजने के लिए प्रेरित कर सकता है।

पवन दुग्गल, साइबर लॉ एक्सपर्ट “आज की दुनिया में प्रतिबंध मौजूद नहीं है, आप अपनी क्षेत्रीय सीमाओं के अंदर प्रतिबंध लगा सकते हैं, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं है। क्यों? क्योंकि इंटरनेट ने भूगोल को ‘इतिहास’ बना दिया है, आपके अधिकार क्षेत्र में बैठे लोग वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क और दूसरी तकनीकों का इस्तेमाल करके आगे बढ़ सकते हैं और प्रतिबंधित वेबसाइटों को देख सकते हैं। साथ ही जितना ज्यादा आप प्रतिबंध लगाते हैं, उतना ही आप प्रतिबंधित वेबसाइट या प्रतिबंधित प्लेटफार्मों पर ट्रैफिक बढ़ाते हैं, इसलिए साफ तौर से प्रतिबंध लगाना एक गैर-व्यावहारिक प्रस्ताव है। लेकिन ऑस्ट्रेलिया इस दिशा में आगे बढ़ गया है। खास बात ये है कि ऑस्ट्रेलिया इसे कैसे लागू करेगा।”

प्रौद्योगिकी और बाल कल्याण से जुड़े क्षेत्रों में महारथ रखने वाले 140 से ज्यादा ऑस्ट्रेलियाई और अंतरराष्ट्रीय शिक्षाविदों ने पिछले महीने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज को लिखे एक ओपन लेटर पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें उन्होंने सोशल मीडिया पर उम्र सीमा का विरोध करते हुए इसे खतरों से बेहतर ढंग से निपटने के लिए बहुत ही कमजोर जरिया बताया था।

इसी तरह भारत में भी कई लोग सोशल मीडिया के फायदों का जिक्र करते हैं और इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के बजाय इसके इस्तेमाल पर निगाह रखने की वकालत करते हैं।

यह विधेयक 18 नवंबर से शुरू हो रहे आस्ट्रेलियाई संसद के इस साल के आखिरी दो सप्ताह के सेशन के दौरान पेश किया जाएगा। कानून पास होने के 12 महीने के बाद ये उम्र सीमा लागू कर दी जाएगी। इससे एक्स, टिकटॉक, इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे प्लेटफार्मों को वक्त मिलेगा और वो 16 साल से कम उम्र के ऑस्ट्रेलियाई बच्चों को इनका इस्तेमाल करने से रोकने के तरीके ढूंढ सकेंगे।

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