Sharda Sinha: मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं रहीं। बिहार की स्वर कोकिला का दिल्ली के एम्स में निधन हो गया, शारदा सिन्हा लंबे समय से कैंसर से जूझ रही थीं। तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें 27 अक्टूबर को एम्स में भर्ती कराया गया था।
एम्स के मुताबिक 72 साल की गायिका 2017 से मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित थी और उन्हें एम्स के कैंसर संस्थान ‘इंस्टिट्यूट रोटरी कैंसर हॉस्पिटल’ के आईसीयू में रखा गया था। मिथिला की बेगम अख्तर के नाम से मशहूर शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के सुपौल जिले में एक नवंबर 1952 को हुआ। संगीत में उनके योगदान के लिए उन्हें बिहार कोकिला कहा जाता था। गायन में उनके योगदान के लिए उन्हें 1991 में पद्म श्री और 2018 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया।
22 सितंबर, 2024 को शारदा सिन्हा के पति ब्रज किशोर सिन्हा का निधन हो गया था। पति के देहांत के बाद से वो सदमे में थीं जिससे धीरे-धीरे उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। शारदा सिन्हा बेशक आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी यादें और उनके गीत हमेशा लोगों की जुबान पर रहेंगे। बिहार की लोक गायिका ने दशकों तक अपनी मधुर आवाज से लोगों के दिलों पर राज किया। उन्होंने छठ से लेकर बेटी की विदाई तक के अनगिनत गीत गाए।
छठ से पहले उनका नया गया ‘दुखवा मिटायिन छठी मैया’ रिलीज किया गया है। दर्शक इसे खूब पसंद कर रहे हैं। लोक गायिका शारदा सिन्हा ने मैथिली,भोजपुरी और मगही भाषा में कई गाने गाए। कहते हैं शारदा सिन्हा को अपने गीतों को लेकर इतना जुनून था कि वो गाने से पहले अपने मायके, ससुराल और यहां तक की परिवार के बुजुर्गों से जानकारी लेतीं थीं। शायद यही वजह है कि शादी की कोई रस्म ऐसी नहीं है जिसके लिए उन्होंने गीत न गाए हो।
बिहार की लोक गायिका को कई बार हिंदी फिल्मों में गाने के लिए बड़े ऑफर मिले। उन्होंने साल 1994 में आई फिल्म “हम आपके हैं कौन” में विदाई गीत ‘बाबुल” और “कहे तो” और सलमान खान की पहली सुपरहिट फिल्म “मैंने प्यार किया’ का गीत “सजना” गाया। उन्होंने गैंग्स ऑप वासेपुर-2 में भी अपनी मधुर आवाज दी लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी लोक शैली से समझौता नहीं किया। शारदा सिन्हा के इस दुनिया को अलविदा करने से माहौल गमगीन हैं। बिहार के लोक कलाकारों से लेकर राजनीति के दिग्गजों ने उनके निधन पर शोक जताया है।