Delhi: केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि ग्लोबल सोलर इनवेस्टमेंट 2023 में 393 बिलियन अमरीकी डॉलर के लेवल से इस साल 500 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कोयले और गैस को पीछे छोड़ते हुए कई फील्ड में सबसे किफायती एनर्जी सोर्स है, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की सातवीं आम सभा के उद्घाटन सेशन में बोल रहे थे।
इस दौरान उन्होंने कहा कि ये इनवेस्टमेंट न केवल नई क्षमता जोड़ रहे हैं बल्कि दुनिया भर में सौर ऊर्जा से एनर्जी की लागत को भी कम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत ने बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है और उपलब्धियां भी हासिल की हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले महीने भारत ने 90 गीगावाट की स्थापित सौर क्षमता हासिल की है, जो 2030 तक 500 गीगावाट क्षमता के अपने बड़े लक्ष्य की ओर लगातार आगे बढ़ रही है।
केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि “सौर ऊर्जा जो कभी सिर्फ कल्पना थी, अब शक्तिशाली वास्तविकता बन गई है जो दुनिया को ज़्यादा स्वच्छ और सस्टेनेबल रास्ते की ओर ले जा रही है। हमने साथ मिलकर जो प्रगति की है, उसे नकारा नहीं जा सकता और सौर ऊर्जा की वास्तविक क्षमता ये दिखाती है कि ये कितनी परिवर्तनकारी हो सकती है।”
“2024 में ग्लोबल सोलर सेक्टर स्थापित सौर फोटोवोल्टिक क्षमता के लगभग दो टेरा वाट तक पहुंचने के लिए तैयार है। ये सिर्फ एक दशक पहले की तुलना में एक असाधारण छलांग है, जब सौर ऊर्जा को अभी भी ग्लोबल एनर्जी बाजारों में एक छोटा सेगमेंट माना जाता था। 2023 में, सौर ऊर्जा ग्लोबल एनर्जी में 5.5 फीसदी का योगदान दिया। रिकॉर्ड तोड़ इनवेस्टमेंट से इसको बढ़ावा मिला है। ग्लोबल सोलर इनवेस्टमेंट 2018 में 144 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2023 में 393 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है और 2024 के अंत तक 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।”
इसके साथ ही कहा कि “ये इनवेस्टमेंट न केवल नई क्षमता जोड़ रहे हैं, बल्कि दुनिया भर में सोलर एनर्जी से एनर्जी की लागत को भी कम कर रहे हैं। आज, सौर ऊर्जा कई क्षेत्रों में बिजली का सबसे किफ़ायती स्रोत बन गई है। यहां तक कि ये कोयले और गैस से भी आगे निकल गई। मुझे इस बात पर बहुत गर्व है कि भारत भी अपनी एनर्जी क्षमताओं को आगे बढ़ा रहा है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत ने महत्वाकांक्षी, लक्ष्य निर्धारित किए हैं और इस दौरान उल्लेखनीय मील का पत्थर हासिल किया है।”