Diwali Bazaar: दिल्ली का ब्लाइंड रिलीफ एसोसिएशन हर साल दिवाली बाजार लगाता है। 1980 में शुरू हुई परंपरा का मकसद दृष्टिबाधितों की बनाई मोमबत्तियां, लैंप और दूसरे सामान दुनिया के सामने लाना है।
एसोसिएशन दृष्टिबाधितों को नए कौशल सिखाने और रोजगार में मदद देने के लिए ट्रेनिंग का भी बंदोबस्त करता है। ब्लाइंड रिलीफ एसोसिएशन के एग्जीक्यूटिव सेक्रेट्री कैलाश चंद्र पांडे ने कहा कि “जैसे हमारे यहां स्कूल चलता है एक, सीनियर सेकेंडरी स्कूल फॉर द ब्लाइंड, पहली क्लास से बारहवीं क्लास तक का स्कूल है। फिर उसके बाद हमारा बीएड का कॉलेज चलता है। इसमें दृष्टिबाधितों को सिखाने के लिए तैयार किए जाते हैं।टीचर्स को तैयार किया जाता है। स्पेशल एजुकेटर्स तैयार किए जाते हैं। वोकेशनल ट्रेनिंग के बहुत प्रोग्राम हैं, कम्प्यूटर ट्रेनिंग प्रोग्राम है। आपने देखा होगा कि हमारे खास तौर पर जो वोकेशनल ट्रेनीज का यहां पर आपको प्रेजेंस खासी दिखी होगी। वोकेशनल ट्रेनिंग, मल्टी-स्किल वाले जो ट्रेनीज हैं, वो मोमबत्तियां बना रहे हैं। कपड़े की चीजें बना रहे हैं और पेपर मशीनिॉ के आइटम्स है। और बहुत सारी चीजें हैं। हमारी रेंज काफी बढ़ती जा रही है।”
इस साल 240 स्टाल में रंग-बिरंगी मोमबत्तियां और तरह-तरह के खूबसूरत दीये आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। दिवाली बाजार दृष्टिबाधित मालिश करने वालों को अपना हुनर दिखाने का भी मौका देता है। इन्हें एसोसिएशन में ट्रेनिंग दी गई है।
बाजार में देश भर से लाए गए आकर्षक, सजावटी और जरूरी सामान उपलब्ध हैं। इनमें डिजाइनर कपड़े, जूते, गहने, हैंडबैग, सजावटी सामान, पारंपरिक शिल्प, उपहार देने लायक आइटम, कॉस्मेटिक्स, खिलौने, बागवानी, हर्बल उत्पाद और पैकेज्ड फूड भी हैं।