Raebareli: दिवाली से पहले उत्तर प्रदेश के रायबरेली में जेल के बाहर आउटलेट खोला गया है। इसमें कैदियों के तैयार किए गए सामान बेचे जा रहे हैं, ये पहल ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना का हिस्सा है, योजना का मकसद लोकल सामानों को बढ़ावा देना है।
आउटलेट के मुख्य आकर्षण हैं, हाथ से बने पर्यावरण के अनुकूल खूबसूरत लैंप, कैदियों ने इन्हें मिट्टी और गाय के गोबर से बनाया है, इन सामानों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बढ़ावा देने और उनकी पहुंच बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
जेल प्रशासन ने कहा कि यह पहल न सिर्फ कैदियों को आर्थिक मदद देती है, बल्कि उनका कौशल विकास कर नया जीवन जीने का रास्ता भी दिखाती है।
जेल सुपरिटेंडेंट अमन कुमार सिंह ने कहा कि “माटी कला के माध्यम से हम लोगों का जो मेट मेटिव है कि उनके अंदर कुछ स्किल डाला जाए। स्किल डेवलपमेंट कराया जाए उनका, कि जब वो यहां से छूटें तो बाहर जाकर वो ह्यूमन कैपिटल के तौर पर काम करें।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि “यह बेसिकली हम लोगों का लेवल टू है। हम लोगो कोशिश करेंगे कि जल्दी ही इसको सिस्टमाइज किया जाए और ई-कॉमर्स पे स्विच करें। जो भी आमेजन, फ्लिपकार्ट ये सारी चीजें हैं और इसके लिए हम लोगों को कारागार मुख्यालय से परमिशन लेना होगा। तो ये जब परमिशन मिल जाता है और सारी इसकी जो टेक्निकैलिटीज हैं, वो कम्पलीट हो जाती हैं, तो फिर कोशिश किया जाएगा कि इसको मार्केट पे, मतलब ई-कॉमर्स साइट्स पे अवेलेबल कराया जाए। डिफरेंट-डिफरेंट स्टेट्स के डिफरेंट-डिफरेंट डिस्ट्रिक्ट के लोगों के लिए।”