Prayagraj: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कुछ महिलाएं दिवाली के लिए गाय के गोबर से देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और दूसरी मूर्तियां बना रही हैं। परंपरा के मुताबिक लोग हर दिवाली पर देवताओं की नई मूर्तियां खरीदते हैं और पिछले साल खरीदी गई मूर्तियों को विसर्जित कर देते हैं, माना जाता है कि इससे समृद्धि आती है।
महिलाएं गाय के गोबर से मूर्तियां और दूसरे सामान बनाने का मकसद बताती हैं। उनके मुताबिक यह बायोडिग्रेडेबल है, लिहाजा प्लास्टर ऑफ पेरिस या दूसरे सामानों से बनी मूर्तियों के विसर्जन से होने वाला प्रदूषण कम किया जा सकता है।
महिलाओं का कहना है कि इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट बनाने के अलावा कई महिलाओं को रोजगार भी मिलता है, इससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलती है।
पहल का नेतृत्व करने वाली महिला आभा सिंह का कहना है कि “आपने देखा होगा कि दीपावली के दो दिन बाद ही परिवाह के बाद जब मूर्ति अब हम पुरानी मूर्तियों का अब हम क्या करें उनको गंगा में प्रवाहित हम नहीं कर सकते क्योंकि वो प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी होती है। तो लोगों की मजबूरी है वो अपने मंदिरों के मुंडेरों पर इधर-उधर रख देते थे तो मुझे लगा कि क्यों न हम ऐसा कुछ बनाए कि ये मूर्तियों की हम पूजा करें एक साल रख भी लें और उसको आप डिज्लॉव करके अपने पेड़ों में डाल दें, कहीं पर भी आप अपने आस-पास जो पौधे हैं उसमें डाल सकते हैं, गमलों में डाल सकते हैं।”