Gujarat: डेयरी से जुड़े 6.5 करोड़ ग्रामीण परिवारों को कोऑपरेटिव सेक्टर से जोड़ने की जरूरत- अमित शाह

Gujarat: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दूध उत्पादन से जुड़े साढ़े छह करोड़ ग्रामीण परिवार अब भी कोऑपरेटिव सेक्टर के दायरे से बाहर हैं और उन्हें उचित दाम नहीं मिलने की वजह से उनका शोषण हो रहा है। अमित शाह ने कहा कि डेयरी फार्मिंग से जुड़े आठ करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल डेढ़ करोड़ ही कोऑपरेटिव सेक्टर का हिस्सा हैं। उन्होंने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) से कहा कि डेयरी फार्मिंग से जुड़े हर किसान को उसके उत्पाद का पूरा मूल्य मिले, इस दिशा में काम किया जाना चाहिए।

केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने एनडीडीबी के हीरक जयंती वर्ष और अमूल सहकारी के संस्थापक त्रिभुवनदास पटेल की जयंती के मौके पर गुजरात के आणंद में आयोजित एक समारोह में ये बातें कहीं। अमित शाह ने कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड के संस्थापक त्रिभुवनदास पटेल को श्रद्धांजलि दी, जिसे अमूल डेयरी के नाम से जाना जाता है और जिन्होंने एनडीडीबी की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी।

उन्होंने कहा, “गरीब किसानों, खासकर डेयरी फार्मिंग से जुड़ी महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काम करते हुए पटेल ने खुद की परवाह नहीं की। आज महिला किसान इतनी सफलता क्यों हासिल कर रही हैं, इसकी असली वजह सहकारी क्रांति है।” गांधीनगर के सांसद ने याद किया कि प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 1964 में अमूल का दौरा किया था और फैसला किया था कि देश भर के किसानों को इस विचार और सफल प्रयोग का फायदा मिलेगा। इसके बाद आनंद में एनडीडीबी की स्थापना हुई।

अमित शाह ने कहा कि अमूल और एनडीडीबी के उत्पादों में मिलावट नहीं होती है क्योंकि इन संगठनों का स्वामित्व किसानों के पास है, 60 साल में एनडीडीबी ने न केवल किसानों, खासकर महिला किसानों और देश भर की सहकारी समितियों को मजबूत किया है, बल्कि उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक भी किया है। अमूल जैसे तमाम सहकारी ब्रांडों के भरोसे ने महिलाओं को सशक्त बनाया है और बच्चों को पोषण देकर लोगों को सशक्त बनाने की नींव भी रखी है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “अब हमारा काम है कि आठ करोड़ ग्रामीण परिवार रोज दूध का उत्पादन करते हैं। इसमें सिर्फ डेढ़ करोड़ ही कोऑपरेटिव सेक्टर में हैं। इसका मतलब है कि बाकी साढ़े छह करोड़ का आज भी शोषण हो रहा है, उनको उचित दाम नहीं मिल रहा है। कई बार उनको दूध फेंक देना पड़ता है। हमारा काम है कि आठ के आठ करोड़ किसान कोऑपरेटिव सेक्टर के माध्यम से अपने पसीने का पूरा मूल्य प्राप्त करें, इस दिशा में एनडीडीबी को आगे बढ़ना चाहिए। हमारे कोऑपरेटिव क्षेत्र में, डेयरी क्षेत्र में लगभग 22 राज्य संघ बन चुके हैं, 231 जिला संघ बने हैं और 28 विपणन डेयरियां बनी हैं और 21 दूध उत्पादक कंपनियां काम कर रहीं हैं। इसकी तुलना होगी, हम नई दो लाख कोऑपरेटिव बनाने जा रहे हैं, जो हमारे स्ट्रक्चर को आगे बढ़ाएगी। आप कल्पना करिए अभी 65 हजार पैक्स को हम दो लाख तक पहुंचाना चाहते हैं।”

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