Indore: एक अनोखी परंपरा के तहत कुछ भक्त दशहरे पर रावण का पुतला जलाने के बजाय उसे देवता के रूप में पूजते हैं, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के परदेसीपुरा इलाके के लंकेश्वर महादेव मंदिर में रावण की छह फुट ऊंची मूर्ति है, यहां श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने और आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं।
इस मंदिर को 2010 में शहर में रहने वाले महेश गौहर ने बनवाया था। वे रावण को विद्वान और भगवान शिव का अवतार मानते हैं। महेश गौहर के परिवार के लोगों के मुताबिक, रावण के लिए उनकी भक्ति इतनी ज्यादा है कि उन्होंने उसका पुतला जलाने पर रोक लगाने के लिए अदालत में याचिका दायर की है।
गौहर परिवार के अलावा इलाके के कुछ लोग भी मंदिर में पूजा करते हैं। उनका मानना है कि मंदिर में अपार शक्तियां हैं। पारंपरिक तौर से रावण, उसके भाई कुंभकरण और बेटे मेघनाथ के पुतले जलाकर दशहरा मनाया जाता है, इस साल दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
लंकेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी महेश गौहर ने बताया कि “1965 में मेरे मामाश्री जिनकी बारात मंदसौर गई थी, मैंने वहां देखा कि वो दूल्हा-दुल्हन को छकड़े में, बैलगाड़ी में जोतकर के वो रावण के मंदिर पर ले गए और वहां दूल्हा-दुल्हन ने उनके पैर पूजे और पूजा-अर्चना करी, आशीर्वाद लिया। बस मेरे जहन में, मेरे दिमाग में एक बात आ गई क्या ये तमाम सारे जो लोग हैं वो रावण को जलाने की बात करते हैं और यहां रावण की मंदिर में पूजा कर रहे हैं। बस मैं तब से मतलब इस खोज में लग गया कि एक न एक दिन मैं ये पता लगाकर रहूंगा कि ये जो रावण है क्या है और आज यहां तक पहुंचा हूं कि रावण जो है प्रकांड पंडित हैं और शिव के दर्शनावतारी हैं।”
श्रद्धालुओं “यह 10 साल से मंदिर बना है, 10 साल से मैं यहां पर निःशुल्क सेवा दे रहा हूं मेरी, क्योंकि मेरा इनसे कुछ काम हुआ था, तो जब से मैंने बोल दिया था कि मैं यहां पर निःशुल्क सेवा दूंगा मेरी। मैं निःशुल्क पुताई करता हूं यहां पर। हर साल मैं पूरा मंदिर पोतता हूं। मन्नत पूरी हो गई थी मेरी।”