Ram Leela: नवरात्रि से पहले उत्तराखंड में ऐतिहासिक पौड़ी राम लीला में हिस्सा लेने वाले कलाकर इन दिनों खूब प्रैक्टिस कर रहे हैं। अलग-अलग भूमिका निभा रहे कलाकारों ने इस साल की राम लीला में शामिल होने पर खुशी जताई, उन्होंने इसके लिए आयोजन समिति को धन्यवाद दिया।
आयोजकों के मुताबिक, ब्रिटिश काल से चल रही पौड़ी राम लीला पहले केवल बच्चे ही करते थे, राम लीला पर थीसिस कर रहे जर्मनी के रिसर्च स्टूडेंट पॉल भी इस उत्सव को देखने देवभूमि आए हैं।
राम लीला में हिस्सा लेने वाले कलाकार दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। कलाकार तनुप्रिया ने बताया कि “मैं यहां पर शूर्पणखा का रोल कर रही हूं। सबसे पहले तो मैं धन्यवाद करना चाहती हूं रामलीला मंच का जिन्होंने मुझे ये रोल करने का मौका दिया। यहां पर बहुत अच्छे से प्रैक्टिस होती है, सभी चीजें सिखाई जाती हैं, हमें बताया जाता है कि हमें किस तरीके से पहले जैसी रामलीला से जुड़े रहना है।”
इसके साथ ही कहा कि “मैं पांच-छह साल से यहां रामलीला में रोल कर रही हूं और बहुत ही अनोखा अनुभव हमें यहां पर मिलता है, बहुत खुशी होती है। रामलीला में तो खुशी होती ही है लेकिन प्रैक्टिस में भी जो कभी ना भूलने वाले पल यहां देखने को मिलते हैं और बहुत अच्छा लगता है।”
कलाकारों का कहना है कि “इस वर्ष और चार-पांच वर्ष से अंगद की भूमिका में और परशुराम का चरित्र चित्रण का अभिनय करता हूं और साथ में सह निर्देशक की भूमिका भी निभाता हूं। बिल्कुल ये जो ऐतिहासिक धरोहर है इसकी पौराणिकता को बनाए रखते हुए और वर्तमान तकनीक का इस्तेमाल करते हुए नए प्रयोग हम करते हैं। ये तो ऐतिहासिक रामलीला है इसको हम जनता के सामने और आज की तारीख में सोशल मीडिया के सामने अपने बेहतरीन गायन, अभिनय प्रयोग और अभिनय और उच्च गुणवत्ता के साथ इसका प्रस्तुतिकरण किया जाता रहा है।”
राम लीला समिति के मुख्य संयोजक विक्रम सिंह ने कहा कि “ये 123 साल पार कर रहे हैं हम और बहुत पुरानी लीला है ये। इसमें पहले अमूमन छोटे बच्चे ही पात्र के रूप में करते थे लेकिन धीरे-धीरे बदलाव आने की वजह से अब लड़कियां भी आ रही हैं, जब साथ में बड़े अच्छे ढंग से संपन्न करते हैं।”