Mankameshwar: उत्तर प्रदेश के लखनऊ में तिरूपति के लड्डुओं में ”मिलावट” के बाद यहां के प्रसिद्ध मनकामेश्वर मंदिर ने श्रद्धालुओं के बाहर से खरीदे गए ‘प्रसाद’ पर बैन लगा दिया है और कहा है कि वे घर पर बना ‘प्रसाद’ या फल चढ़ा सकते हैं।
मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि ने कहा कि “आंध्र प्रदेश के तिरूपति मंदिर में मिलावटी प्रसाद का मामला आया, उसे देखते हुए हमने भक्तों को आग्रह किया कि जो आप अपने भगवान, ईष्ट को भोग लगा रहे हैं, कम से कम उसमें मासाहार का उसमें कोई अवयव या तत्व नहीं होना चाहिए। ये पहले आश्वस्त हो जाए हम सब तभी हम अपने भोलेनाथ को प्रसाद चढ़ाएं। उसे आप घर में बनाएं। जो बहन-बेटियां घर में घी निकालती हैं, उससे प्रसाद बने तो हम गर्भगृह तक अवश्य लेंगे या ये भी आप न कर सकें तो सूखे मेवे हैं, उनका आप पाग बनवा लें, ये भी आप नहीं कर सकते तो फलों का भोग लगाईए।”
उन्होंने कहा कि “यह कभी हो ही नहीं सकता कि हम प्रसाद के नाम पर मासाहार परोसे, ये बहुत बड़ा अपराध है। ये बहुत बड़ी घटना है और आस्था पर इससे बड़ा आघात हो ही नहीं सकता। तो इसलिए हिंदू धर्म के सारे मठ-मंदिरों के व्यवस्थापकों को पुजारी को ये व्यवस्था करनी होगी कि हम किस तरह से शाकाहार प्रसाद की व्यवस्था करें तो मुझे लगता है कि सूखा प्रसाद का भोग लाएं, तभी वितरित करें। तभी ये शुद्धता बनी रह सकती है।”
इसके साथ ही कहा कि “हमारे पूर्वजों ने यदा-कदा सभी लोग इतने वर्षों में गए हैं, उनका धर्म भ्रष्ट हुआ है। अगर उनका धर्म भ्रष्ट हो चुका है तो मुझे लगता है वो व्यक्ति क्षमा योग्य नहीं है। उस पर दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए और मृत्युदंड से कम तो होना ही नहीं चाहिए।”
श्रद्धालुओं का कहना है कि “बहुत अच्छा निर्णय है। इसमें मेहनत तो करनी पड़ेगी लेकिन आत्मा में संतुष्टि तो होगी कि हम लोगों ने शुद्ध चढ़ाया है। बहुत अच्छी बात है, हम ज्यादातर फल चढ़ाते हैं, प्रसाद एकदम नहीं चढ़ाते हैं। केला मिल गया या कुछ और मिल गया। हम लोग वही चढ़ाते हैं।”