Jharkhand: सेकेंडरी एग्रीकल्चर में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की क्षमता- राष्ट्रपति मुर्मू

Jharkhand: राष्ट्रपति मुर्मू रांची में आईसीएआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर के शताब्दी समारोह में चीफ गेस्ट के तौर पर शामिल हुईं, किसानों और उनकी आमदनी को बरकार रखने की जरूरत का जिक्र करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि पिछले 100 साल में बड़ी तादाद में किसान खेतिहर मजदूर बन गए हैं, उन्होंने कहा कि इस समस्या को दूर करने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करना चाहिए।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सेकेंडरी एग्रीकल्चर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकती है, उन्होंने कहा कि आईसीएआर यानी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को वेस्ट को वेल्थ में बदलने पर फोकस करना चाहिए। राष्ट्रपति मुर्मू ने कच्चे और प्रोसेस्ड लाख की एक्सपोर्ट क्षमता और इसके उत्पादन में खासकर झारखंड के आदिवासियों की अहमियत को बताया। जब वे झारखंड की राज्यपाल थीं, तो उस वक्त किसान कच्ची लाख 100 से 200 रुपये प्रति किलो बेची जाती थी, जबकि प्रॉसेस्ड लाख की कीमत 3,000 रुपये प्रति किलो तक हो सकती थी।

कार्यक्रम में झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और संजय सेठ भी शामिल हुए। द्रौपदी मुर्मू, राष्ट्रपति “बहुत से किसान भाई-बहन गरीबी से जीवन यापन कर रहे हैं। कृषि को लाभदायक उद्यम बनाने के साथ-साथ 21वीं सदी से कृषि के समक्ष तीन अन्य बड़ी चुनौतिया हैं। खाद्य और पोषण सुरक्षा को बनाए रखना, संसाधनों का सस्टेनेबल इस्तेमाल तथा जलवायु परिवर्तन। सेकेंड्री एग्रीकल्चर से जुड़ी गतिविधियां इन चुनौतियां का सामना करने में मदद कर सकती हैं।”

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि “100 सालों में अगर हम किसानों की संख्या देखें तो बड़े पैमाने पर जो किसान थे वो आज के दिन में खेतिहर मजदूर बनने के लिए मजबूर हुए हैं। हमें इन्हें बचाने की आवश्यकता है और इसका हल, इसका उपाय कैसे निकले ये राज्य और केंद्र दोनों को इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। मैं लगातार राज्य में खेती-बाड़ी के प्रति आम सभाओं के माध्यम से नीति निर्धारणों के माध्यम से सिर्फ दो मौसमी फसल है इसके अलावा और वैकल्पिक खेती की ओर लोग कैसे आगे बढ़ें इस पर हम लोगों ने लगातार काम किया है।”

“भारत में लाख का उत्पादन मुख्य रूप से जनजातीय समाज द्वारा किया जाता है। ये जानजातीय समाज की आय का एक महत्वपूर्ण साधन है, मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि इस संस्थान ने लाख के अनुसंधान एवं विकास के साथ-साथ इस उत्पादन के व्यवहारिक विकास के लिए भी कदम उठाया जा रहा है। स्माल स्केल लाख प्रोसेसिंग यूनिट एवं इंटीग्रेटेड लाख प्रोसेसिंग यूनिट का विकास, लाख आधारित प्रकृतिक पेंट, बार्निस और कॉस्मेटिक उत्पादन का विकास फलों, सब्जियों और मसाले की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए लाख आधारित कोटिंग का विकास ये सब भी प्रयास व्यवहारिक विकास के अच्छे उदाहरण हैं।”

 

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