Kolkata: आर.जी. कर मामले में अपनी मांगो को लेकर प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों ने राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत के साथ वार्ता की, पश्चिम बंगाल सरकार और जूनियर डॉक्टरों की करीब दो घंटे चली बातचीत बेनतीजा रही।
सचिवालय में राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत के साथ बैठक के बाद डॉक्टरों ने कहा कि वे हताश और निराश हैं। बैठक में हमने मिनट्स बनाकर दिया लेकिन सरकार ने उस पर हस्ताक्षर नहीं किए। हम लिखित आश्वासन चाहते हैं, डॉक्टरों ने कहा कि वे हड़ताल वापस लेना चाहते हैं लेकिन सरकार से लिखित आश्वासन नहीं मिलने के चलते हड़ताल जारी रखने का फैसला किया।
बैठक के बाद, डॉक्टरों ने घोषणा की कि वे तब तक अपना आंदोलन और ‘काम बंद करो’ आंदोलन जारी रखेंगे, जब तक सरकार बैठक में सहमति के अनुसार सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा पर लिखित निर्देश जारी नहीं करती।
गौरतलब है कि सीएम ममता बनर्जी के साथ वार्ता के बाद डॉक्टरों ने काम पर लौटने से इनकार कर दिया था और एक बार फिर बैठक करने की बात कही थी। इसी क्रम में बुधवार को जूनियर डॉक्टरों का 30 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत के साथ बैठक के लिए नबन्ना पहुंचा था।
प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टर सयंतनी ने बताया कि “हम जब मीटिंग में आए थे तो हम बहुत आशावादी थे। हम चाहते थे कि जोे मीटिंग है उससे हमारा जितने भी हमारे पॉइंट्स थे वो सब हम जितने भी ब्यूरोक्रेट्स थे उनके ऊपर आशा लगाकर आए थे कि हम अपने पॉइंट्स को बोल पाए और हम सफल हुए सारे पॉइंट्स बोलने में। वो लोग जब मीटिंग चालू था तो उस टाइम पर वो लोग मौखिक आश्वासन भी दिए और कहा कि कि हमारे पॉइंट्स वैलिड हैं और उनके आधार पर जांच होनी चाहिए। हमने ये भी उल्लेख किया कि हेल्थ केयर फैकल्टी और सेवाओं की भर्ती में पारदर्शिता होनी चाहिए। साथ ही जो लाचार मरीज होते हैं जो एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में घूमते रहते हैं। उनको पता नहीं होता है कि कौने से अस्पताल में जाना है। आसपास के अस्पताल में सुविधाएं है कि नहीं। बेस्ट सुविधाएं उपलब्ध है कि नहीं। एक दलाल का पूरा सिंडिकेट के चालू है। उसके विरुद्ध ताकि हमारे जो नागरिक है वो लोग भी इससे निकल पाए।”
इसके साथ ही प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि “लेकिन आज मीटिंग के बाद हमें बहुत ज्यादा हताशा मिला। क्योंकि हम लोगों को लगा कि हमें जितना मौखिक आश्वासन दिया गया। शायद वहीं आश्वासन हम लोगों को एक लिखित फॉर्मेट में मिलेगा। पर हम लोगों को बोला गया कि जो भी आप लोगों का पॉइंट्स है, चाहे वो नागरिक के लिए हो या डॉक्टर फैसिलिटी हेल्थ यूनिट के लिए हो, वो सब कुछ ई-मेल के जरिए देना चाहिए। हम बस एक ही सवाल है कि अगर पूरी मीटिंग ईमेल से होनी थी तो हमें क्यों बुलाया गया? हमने अपनी सारी बातें रखीं और अब भी हम चाहते हैं कि उन बातों का नतीजा हमें मिले। हम सबको काम पर वापस जाना है। लेकिन हम डरे हुए हैं क्योंकि खतरे की संस्कृति अभी भी प्रचलित है। ”