Ganesh Pandal: महाराष्ट्र में पुणे के नवी पेठ में अष्टविनायक गणेश मंडल का गणेश पंडाल अनोखा है, इसमें हाथी के सिर वाले भगवान की 108 मूर्तियां हैं, इन्हें ‘विश्व गणेश दर्शन’ नाम दिया गया है। सभी मूर्तियां अलग-अलग सामान से बनाई गई हैं।
हर मूर्ति एक-दूसरे से अलग है। इसकी वजह उन्हें बनाने में लगे सामान और उन्हें बनाने का स्टाइल है, इनमें महाराष्ट्र की ‘बारा बलुतेदार’ प्रणाली की मूर्तियां भी हैं, यह प्रणाली बारह पारंपरिक व्यवसायों को दिखलाती है। इनमें सुनार, ताम्रकार, नाई, कुम्हार और बढ़ई शामिल हैं।
मंडल कई साल से गणेश उत्सव मना रहा है, लोगों का कहना है कि पंडाल का खूबसूरत डिजाइन और थीम उन्हें हमेशा रोमांचित करती हैं। गणेश उत्सव सात सितंबर को गणेश चतुर्थी के साथ शुरू हुआ था। उत्सव 17 सितंबर को खत्म होगा, यकीनन गणेशोत्सव महाराष्ट्र के सबसे पसंदीदा त्योहारों में एक है।
विजिटर “हम यहां देख रहे हैं कि जो मसाले के पदार्थ होते हैं उससे गणपति बनाए गए हैं। यहां पर देख रहे हैं जो चावल, मतलब जो ग्रेन्स होते हैं हमारे यूजफुल, जो हम डेली लाइफ में खाते हैं उससे गणपति बनाए गए हैं। यहां पर स्पेयर पार्टस के हैं, यहां पर बर्तन से बनाए हैं। ऐसे अलग-अलग तरह के डेली जो चीजें इस्तेमाल करते है उससे 108 टाइप के अलग अलग तरह के गणपति बनाए हैं और ये यहां के मंडल की खासियत है।”
प्रणव नवले, ट्रस्टी “मंडल ने सुपारियों से, शंखों से, मसालों से, खाद्य पदार्थों से, वाद्य से ऐसे अलग-अलग 108 प्रकार के गणपति बनाए हैं। उसी के साथ में महाराष्ट्र का जो यूनिक कल्चर है अपना, जैसे कि लावणी हो गया, पोवारा हो गया और उसके लिए भी गणपति बनाया है हमने और साथ में व्यवसाय की जो थीम है उनके लिए भी गणपति बनाए हैं। मैं तकरीबन दो-चार साल से यहां पर आ रहा हूं। हर साल मुझे यहां पर कुछ नया देखने को मिलता है। यहां पर अलग-अलग थीम पर अलग अलग तरीके से , अलग-अलग मेथड से गणपति का डेकोरेशन किया जाता है। जैसे कि आज यहां पर देख रहे हो यहां पर बहुत सारे अलग-अलग मैटेरियल से बने हुए अलग-अलग थीम से बने हुए गणपति यहां पर बनाए हुए हैं।”