Mathura: उत्तर प्रदेश के बरसाना में राधा अष्टमी के मौके पर में हजारों श्रद्धालुओं ने राधा रानी मंदिर में दर्शन किए, ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर में राधारानी का खास ‘महाभिषेक’ किया गया। राधा अष्टमी का मुख्य समारोह बुधवार सुबह चार बजे लाडली जी महाराज मंदिर में शुरू हुआ। दोपहर में, राधा रानी को रथ पर मंदिर की छतरी तक ले जाया जाएगा।
हेलिकॉप्टर से भगवान पर गुलाब की पंखुड़ियां बरसाई जाएंगी। उत्सव की शुरुआत नौ सितंबर को ऊंचा गांव में पहाड़ी के ऊपर बने ललिता मंदिर में ललिता जी के ‘अभिषेक’ के साथ हुई। बरसाना में प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए है।
श्रद्धालुओ क कहना है कि “बहुत अच्छे लगे मुझे मतलब अभिषेक के दर्शन मैंने पहली बार किए हैं और इतना सुंदर दर्शन मेरे भाग्य में राधा रानी ने पुकारा इसलिए मैं आई, नहीं तो ऐसे दर्शन मिलना बहुत दुर्लभ होते हैं। कितने लोगों को तो दर्शन करने को भी नहीं मिलता, कितना देर तक खड़े रहते हैं फिर भी दर्शन करने के नहीं मिलता। लेकिन मैं बहुत सौभाग्यवान हूं कि मुझे दर्शन अंदर में आकर मिले।”
“इस बार तीसरी-चौथी बार आने का मौका मिला यहां पर। इतनी भीड़ है प्रशासन का बहुत ही अच्छा इंतजाम है और राधा रानी की खूब कृपा है कि यहां हमें आने का मौका मिला। प्रशासन को मैं धन्यवाद देता हूं इतने अच्छे इंतजाम के लिए। राधे मेरी स्वामिनी, मैं राधे की दास, जन्म-जन्म मोहे दीजिए राधे, वृंदावन में वास।”
पुजारी “जैसे की आप देख रहे हैं कि पहले राधा रानी का अभिषेक हुआ जो बंसी चोर राधा रानी के दर्शन हैं निधिवन राज में जहां पर शयन कर रहे थे तब कृष्ण भगवान बांके बिहारी हमारे शयन कर रहे थे तो उनकी बंसी चुराकर राधा रानी इधर बैठ गई थीं। पहले राधा रानी जी का अभिषेक हुआ, क्योंकि आज राधा अष्ठमी वाले उत्सव पर हम राधा रानी का जन्म उत्सव मनाते हैं। साथ ही उसके बाद में स्वामी हरिदास जी महाराज का भी जन्मोत्व मनाया जाता है। आज के दिन राधा अष्ठमी वाले दिन तो उनका भी अभिषेक हुआ है। पंचामृत अभिषेक में केसर, कुमकुम, कस्तूरी, गाय का दूध, गाय की दही अनेक इत्र, अनेक प्रकार के सुगंधित द्रव्य, 27 कूपों का जल और अनेक औषधियों द्वारा किशोरी जी का अभिषेक और लाडली लाल भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए बड़ी सुंदर व्यवस्था, बड़ी सुंदर सजावट के साथ किया गया। बरसाना आज पूरे त्रिलोकी का वो साधन है जो इंद्रदेव भी खड़े होकर के देवातओं के साथ भगवान शंकर, भगवान ब्रह्मा इस ब्रह्मांचल पर खड़े होकर बधाई दे रहे हैं।”