New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यूपीएस यानी यूनिफाइड पेंशन स्कीम को मंजूरी दे दी, यूपीएस कर्मचारियों को पेंशन की गारंटी देती है। इससे केंद्र सरकार के 23 लाख कर्मचारियों को फायदा मिलेगा, जो कर्मचारी यूपीएस को चुनेंगे उन्हें 25 साल की सर्विस के बाद रिटायरमेंट से पहले के 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी का 50 पर्सेंट पेंशन के तौर पर मिलेगा।
अच्छी बात यह है कि यूपीएस चुनने वाले कर्मचारियों पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा। कर्मचारी का कॉन्ट्रिब्यूशन 10 फीसदी रहेगा, जबकि सरकार का 14 से बढ़कर 18.5 फीसदी हो जाएगा। नॉर्थ रेलवे डिविजनल रेलवे मैनेजर एस. एम. शर्मा ने कहा कि “वो वन टाइम ऑप्शन दे सकते हैं कि वो एनपीएस पर रहना चाहते हैं या यूपीएस में, मैं आपको कुछ बताऊं यूपीएस के मुख्य पांच बिंदू हैं एक तो ये कि सेवानिवृत्ति से पहले, पिछले 12 महीनों में प्राप्त औसत मूल वेतन का 50% शामिल है। वो उनको पेंशन के रुप में दी जाएगी। मिनिमम क्वालिफाइंग सर्विस 25 साल होनी है। यदि किसी की 10 साल भी है तो उसको उसी अनुपात में पेंशन मिलेगी, पर जिसने 10 साल की है तो मिनिमम पेंशन करीब 10 हजार रुपये मिलेगी।”
ओपीएस यानी ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत, रिटायर सरकारी कर्मचारियों को उनकी लास्ट सैलरी का 50 फीसदी पेंशन के रूप में मिलता था। महंगाई भत्ते की दर बढ़ने के साथ ये अमाउंट बढ़ जाता था, एनपीएस में कर्मचारी बेसिक सैलरी का 10 फीसदी देते हैं, जबकि सरकार 14 फीसदी का योगदान देती है।
दूसरी ओर यूनिफाइड पेंशन स्कीम में 18.5 फीसदी सरकारी योगदान है, यूपीएस के तहत महंगाई राहत औद्योगिक श्रमिकों के लिए ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स पर बेस्ड होगी।
आंबेडकर विश्वविद्यालय के इकोनॉमिक्स असिस्टेंट प्रोफेसर दीपा सिन्हा ने बताया कि “पुरानी पेंशन और नई पेंशन योजना के बीच डिफरेंस ये है कि ओपीएस में सरकारी कर्मचारियों को पेंशन की एक निश्चित राशि मिलती थी जो उनके अंतिम वेतन से जुड़ी होती थी, हालांकि नई पेंशन योजना में कर्मचारी सरकार में योगदान करते हैं और जब वे रिटायर होते हैं तो उन्हें जो मिलता है वो इस बात से संबंधित होता है कि पेंशन फंड में बाजार कैसा प्रदर्शन कर रहा है जिसमें सरकार ने अपना पैसा इन्वेस्ट किया है।”
अगले साल एक अप्रैल से लागू होने वाले यूपीएस से सरकारी खजाने पर हर साल 6,250 करोड़ रुपये का बोझ पड़ने का अनुमान है, यह ऐलान कई गैर-बीजेपी राज्यों के डीए-लिंक्ड ओल्ड पेंशन स्कीम को वापस करने का फैसला लेने और दूसरे राज्यों में कर्मचारी संगठनों के इसकी मांग उठाने के बीच आया है।