Delhi: ‘द वर्ल्ड्स ग्रेटेस्ट मेला’ में बैकग्राउंड में बजते पुराने हिन्दी फिल्मी गाने और भारतीय फिल्मों और वर्ल्ड सिनेमा से जुड़ी तस्वीरें, पोस्टर, मर्केंडाइज और विंटेज ग्लास स्लाइड जैसी 750 से ज्यादा अनूठी चीजों को देखना, किसी भी फिल्म प्रेमी के लिए सपने के सच होने जैसा है।
एग्जीबिशन में आने वाले लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं है क्योंकि वह भारतीय सिनेमा से जुड़ी ऐसी चीज का हिस्सा बनकर खुश हैं, जिसका अहसास उन्हें इससे पहले कभी नहीं हुआ। ‘द वर्ल्ड्स ग्रेटेस्ट मेला’ का ताना-बाना मशहूर अर्काइविस्ट और तुली रिसर्च सेंटर फॉर इंडिया स्टडीज के फाउंडर नेविल तुली ने बुना है।
टीआरआईएस फाउंडर नेविल तुली ने बताया कि “यहां एजुकेशनल रिसोर्स के तौर पर सिनेमा पर फोकस किया गया है और अगर हम एजुकेशन सिस्टम में ‘मजे के साथ सीखने’ को वापस लाना चाहते हैं तो सिनेमा के विजुअल और टेक्सट दोनों तरह के सोर्स पर ध्यान देना होगा। ये नया तरीका सभी के लिए हो और मुफ्त हो।”
चाहे वो महान फिल्मकार सत्यजीत रे का फोटोग्राफिक डॉक्यूमेंटेशन हो, दिवंगत दिग्गज अभिनेता पृथ्वीराज कपूर की खास तस्वीरें हों, मशहूर फिल्म “मुगल-ए-आजम” का पब्लिसिटी मेटिरियल हो या फिर ‘द देवदास लिगेसी’ डेडिकेटेड सेक्शन हो – जिसमें शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के 1917 के उपन्यास के कई फिल्म रूपांतरण शामिल हैं। इस अनूठी एग्जीबिशन के लिए कुछ भी सीमा से परे नहीं है, जो भारत की सिनेमाई विरासत में एक तरह से गहरी पैठ बनाती है। एग्जीबिशन में आने वाले लोगों के खुशी का ठिकाना नहीं है। क्योंकि वे भारतीय सिनेमा से जुड़ी ऐसी चीज का हिस्सा बनकर खुश है। जिसका एहसास उन्हें इससे पहले कभी नहीं हुआ।
विजिटरों ने बताया कि “सिनेमा भावनाओं से भरा है और यह एक ऐसी चीज है जिससे हर व्यक्ति जुड़ सकता है और आज यहां मैं संगीत, पोस्टरों और सभी पेंटिंग्स में भारतीय सिनेमा के जादू को महसूस कर सकती हूं। मुझे लगता है कि हर किसी के लिए अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस अनूठी प्रदर्शनी को देखने का ये शानदार वक्त है, यह एग्जीबिशन 25 अगस्त तक चलेगा।