Supermoon: खगोलीय घटनाओं में रुचि रखने वाले लोगों के लिए यह महीना कई शानदार खगोलीय घटनाओं को देखने का मौका देगा, इस बार 19 अगस्त को सुपरमून और फिर, 28 अगस्त को छह ग्रह- बुध, मंगल, बृहस्पति, यूरेनस, नेपच्यून और शनि एक सीध में होंगे।
हालांकि भुवनेश्वर में अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. सुवेंदु पटनायक के मुताबिक, आसमान में बादल छाए रहना एक बाधा साबित हो सकता है। सुपरमून तब दिखाई देता है, जब पूर्णिमा का चरण चंद्रमा के अपनी कक्षा में पृथ्वी के सबसे करीब पहुंचने के साथ-साथ होता है।
पूर्णिमा के चरण के साथ पृथ्वी और चंद्रमा के बीच न्यूनतम दूरी इस खगोलीय घटना को खास बनाती है। हालांकि, नंगी आंखों से ऐसे किसी भी अंतर को पहचानना बहुत मुश्किल है। ज्योतिषी रिचर्ड नोले ने पहली बार 1979 में ‘सुपरमून’ शब्द का जिक्र किया था।
अंतरिक्ष वैज्ञानिक और उप- निदेशक डॉ. सुवेन्दु पटनायक ने कहा कि पथानी सामंत प्लेनेटोरियम “मेटेओर शावर वे अवधारणा है जिसके बारे में हम आम तौर पर बारिश जैसी चीज़ के बारे में सोचते हैं, लेकिन असल में होता ये है कि हम हर दिन मीटरोस देखते हैं। और अगर आप इन्हें गिनें तो आम दिनों में आप अपनी नंगी आंखों से लगभग 5-10 मेटेओर देख सकते हैं। लेकिन साल में कुछ खास दिन ऐसे होते हैं जब हम देखते हैं कि ये संख्या 100 या उससे भी ज्यादा हो जाती है। इसलिए हर साल 12 और 13 अगस्त के आसपास हम बहुत सारे उल्कापिंड देखते हैं और इसे आधी रात से सुबह तक नंगी आंखों से देखा जा सकता है। लेकिन इसके लिए साफ़ आकाश होना चाहिए। जिसमें एक घंटे में करीब 100 उल्काएं देखी जाती हैं।”