Srinagar: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35 ए हटे पांच साल हो गए हैं, इस बड़े बदलाव के बाद लद्दाख और जम्मू-कश्मीर को अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। उसके बाद से जम्मू कश्मीर घूमने जाने वाले सैलानियों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है, टूरिज्म में बढ़ोतरी ने रोजगार के नए मौके भी पैदा किए हैं। इससे यहां का आर्थिक विकास तेज हुआ है।
लोगों का ये भी कहना है कि घाटी में शांति और स्थिरता लौटी है। इसका असर उनके कारोबार पर भी पड़ा है, आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक कश्मीर में पिछले साल रिकॉर्ड टूरिस्ट पहुंचे। जम्मू कश्मीर में 2023 में करीब 27 लाख सैलानी पहुंचे, जो 2011 के मुकाबले करीब दोगुना है।
इस साल जुलाई तक ये आंकड़ा 20 लाख पार कर चुका है, यह भी अपने आप में रिकॉर्ड है, पिछले साल 38,000 विदेशी सैलानियों ने कश्मीर का दौरा कर नया रिकॉर्ड बनाया था। इस साल ये रिकॉर्ड टूटने की उम्मीद है। टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का मानना है कि सूब में विकास की रफ्तार बरकरार रहेगी और कश्मीर एक बार फिर देश का मुख्य टूरिस्ट प्लेस बन जाएगा।
टूरिज्म कश्मीर के डायरेक्टर ने कहा कि “अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद कश्मीर में कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार देखा गया है और सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ। इसके फलस्वरूप पर्यटन को बढ़ावा मिला। पर्यटन कश्मीर की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। जीडीपी में हमारा योगदान पर्यटन से लगभग नौ फीसदी है।अगर आंकड़ों की बात करें तो पिछले साल कश्मीर में अब तक की सबसे ज्यादा पर्यटक संख्या दर्ज की गई।”
ट्रैवल एजेंटों ने कहा कि “जब से अनुच्छेद (370) निरस्त किया गया, घाटी में पर्यटन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी गई। आपने हाल ही में पर्यटन का बढ़ता हुआ देखा होगा, इससे यहां के लोगों को पता चला कि कश्मीर में शांतिपूर्ण माहौल है। मेरा मानना है कि पर्यटन कश्मीर की रीढ़ है।”