Gujarat: गुजरात के राजकोट गेम जोन में आग लगने के मामले में लापरवाही बरतने पर राज्य सरकार ने दो पुलिस इंस्पेक्टर और नगर निगम के कर्मचारियों समेत पांच लोगों को निलंबित कर दिया है, आग से 27 लोगों की मौत हुई थी।
सरकारी रिलीज के मुताबिक इन अधिकारियों ने घोर लापरवाही बरतते हुए जरूरी मंजूरी के बिना गेम जोन को चलाने की अनुमति दी थी, अब तक की जांय में पता चला है कि जिस फैसिलिटी में आग लगी थी, वो बिना फायर एनओसी के चल रही थी।
राजकोट पुलिस कमिश्नर राजू भार्गव ने बताया कि गेम जोन को सड़क और भवन विभाग से अनुमति मिल गई थी। आयोजकों ने फायर एनओसी लेने के लिए आग से बचाव वाले सुरक्षा उपकरणों का सुबूत भी पेश किया था, एनओसी का प्रोसेस चल रहा था, लेकिन अभी तक एनओसी मिली नहीं थी।
हादसे के बाद मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने घटनास्थल का मुआयना किया था, इसके एक दिन बाद इन पांच अधिकारियों को निलंबित करने की कार्रवाई की गई, मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों को घटना के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था।
जिन लोगों को निलंबित किया गया है उनमें राजकोट नगर निगम के टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट के असिस्टेंट इंजीनियर जयदीप चौधरी, असिस्टेंट टाउन प्लानर गौतम जोशी, राजकोट रोड एंड बिल्डिंग डिपार्टमेंट के डिप्टी एग्जीक्यूटिव इंजीनियर एम. आर. सुमा और दो पुलिस इंस्पेक्टर वी. आर. पटेल और एन. आई. राठौड़ शामिल हैं।
राजकोट के नाना-मावा इलाके में टीआरपी गेम जोन में शनिवार शाम को लगी आग में बच्चों समेत 27 लोगों की मौत हो गई, अधिकारियों ने बताया कि मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। गेम जोन के छह पार्टनरों और एक दूसरे आरोपित के खिलाफ गैर इरादतन हत्या समेत कई धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।
बता दें कि गुजरात हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए इसे “मानव निर्मित आपदा” यानी मैन मेड डिसास्टर बताया था, हाई कोर्ट ने पाया कि हादसे वाली जगह पर पेट्रोल, फाइबर और फाइबरग्लास शीट जैसी ज्वलनशील चीजें स्टोर की गईं थीं।
राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी बनाई है और हर मृतक के परिजनों को चार लाख रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया है, केंद्र सरकार ने भी हर मृतक के परिजनों को दो लाख रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया है।