Pune: पुणे में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने एक कार हादसे में कथित तौर से शामिल 17 साल के किशोर को दी गई जमानत रद्द कर दी, साथ ही उसे पांच जून तक के लिए बाल सुधार गृह भेज दिया। बोर्ड ने हादसे के कुछ घंटों बाद उसे जमानत दे दी थी और सड़क हादसों पर 300 शब्दों का निबंध लिखने को कहा था, जिसके बाद लोगों ने इस फैसले पर काफी सवाल उठाए थे, इस हादसे में दो लोगों की मौत हुई थी।
सेशंस कोर्ट ने आरोपत के पिता को पुलिस हिरासत में भेज दिया था जो रियल एस्टेट डेवलपर है, हिट एंड रन मामले की शिकार महिला अश्विनी कोष्टा के परिवार का मानना है कि 14 दिन की रिमांड जायज नहीं है और उन्होंने फास्ट ट्रैक कोर्ट से एक महीने के भीतर फैसला सुनाने की मांग की जाती है ताकि ऐसे मामलों में देरी से बचा जा सके।
पुलिस ने कहा कि बोर्ड ने नाबालिग को तीन दिन पहले दी गई जमानत बुधवार शाम को रद्द कर दी जबकि उसके वकील ने दावा किया कि जमानत रद्द नहीं हुई है। किशोर के साथ नाबालिग नहीं बल्कि वयस्क आरोपित के रूप में बर्ताव करने की इजाजत मांगने संबंधी पुलिस की अर्जी पर अभी कोई आदेश नहीं आया है।
बोर्ड ने हादसे के कुछ घंटे बाद उसे जमानत दे दी थी और सड़क हादसों पर 300 शब्दों का निबंध लिखने को कहा था, जिसके बाद लोगों ने इस फैसले की आलोचना की थी। इसके बाद पुलिस ने फिर से बोर्ड का रुख कर आदेश की समीक्षा की मांग की, बोर्ड के समक्ष सुनवाई में किशोर का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील प्रशांत पाटिल ने कहा कि रविवार को दी गई जमानत रद्द नहीं की गई है।
पुलिस ने तीन सदस्यों के बोर्ड से कहा कि किशोर को निगरानी केंद्र में रखना चाहिए क्योंकि अगर वह बाहर रहेगा तो उसकी जान को खतरा हो सकता है, पाटिल ने कहा कि बचाव पक्ष ने पुलिस की याचिका का विरोध किया। वकील पाटिल के मुताबिक किसी किशोर को वयस्क आरोपित माना जाए या नहीं यह तय करने की प्रक्रिया में कम से कम दो महीने लग सकते हैं क्योंकि मनोचिकित्सकों और सलाहकारों समेत कई लोगों से रिपोर्ट मांगी जाती है, जिसके बाद बोर्ड अपना फैसला देता है।
अश्विनी कोष्टा की मां ममता कोष्टा ने कहा कि जो कानून है, उसके हिसाब से फैसला किया है, ठीक है, लेकिन ये 15 दिन, 20 दिन, फिर छोड़ दो जमानत पर, तो ये ढिलम-ढिलाई, तो हमारा धीरे-धीरे विश्वास टूटता है, दो-चार साल लगें, उससे अच्छा है, हमें जल्द से जल्द एक महीने में मिल जाए न्याय, तो लोगों को भी संदेश मिलेगा और लोगों को पता लगेगा कि इस तरह की जो घटनाएं हो रही हैं वो न हों। यही रिक्वेस्ट है कि वो उसे सजा हो, वो छूटे न, तो ऐसी घटना दोबारा न हो।
अश्विनी कोष्टा के पिता मैं तो कह चुका हूं कि अगर इसकी सुनवाई फास्ट ट्रैक से हो तो जल्द से जल्द निर्णय आएगा, जितनी जल्दी निर्णय आएगा, उतने सारे लोग बच जाएंगे, केसों का, हादसों का शिकार होने से, क्योंकि ये केस से लोगों को ये उम्मीद जाग चुकी हैं कि ऐसा कानून बनेगा कि हिट एंड रन वाली स्थिति अब थोड़ा कम हो जाएगी।”
पुलिस कमिशनर अमितेष कुमार ने बताया कि हमारा जो दोनों एप्लीकेशन संडे को इस केस में रिजेक्ट हुआ था, आज दोनों ही ग्राउंड पर हमें यश मिला है, तो एडल्ट की तरह ही ट्राई किया जाए, जो एप्लीकेशन थी, उसको जो फाइल किया गया था, उसको आज खोला गया है, उसमें एक्यूज्ड टू से, ऐसे प्रकार का स्टैंड कोर्ट ने लिया है, उसकी डेट 24 तारीख है। उसको जो बेल दी थी, उसको एमेंड किया गया है, उसको आज 14 दिन के लिए रिमांड ऑब्जर्वेशन होम में भेजा गया है, हमारा स्टैंड टोटली विंडीकेटेड है, हम स्ट्रांग इनवेस्टिगेशन करके इसमें स्ट्रांग केस फाइल करेंगे।