Uttarakhand: उत्तराखंड में पलायन एक बड़ी समस्या है. रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा और बेहतर भविष्य के लिए पहाड़ से खूब पलायन हुआ. पौड़ी जिले को पलायन की सबसे ज्यादा मार झेलनी पड़ी आलम यह है कि गांव के गांव खाली हो गये हैं।
बुनियादी सुविधाओं के अभाव के लिए उत्तराखंड के पहाड़ों से खूब पलायन हुआ, पहाड़ों के यह बंजर खेत, सूने घर, और हताश और निराश ये बूढ़ी आंखे, पलायन की पीड़ा को बखूबी बयां करती हैं जिंदगी को बेहतर बनाने की जद्दोजहद में पहाड़ की जवानी, पहाड़ के पानी की तरह मैदानों की तरफ बह जाती है। जिसका अंजाम हैं ये गांवों के ये सूने घर और बुजुर्गों की ये निराशा अभावों के बीच एकाकी जीवन जीने को मजबूर हैं. वहीं जिन लोगों ने पलायन नहीं किया वे कठिनाइयों में गुजर बसर कर रहे हैं
उत्तराखंड बनने के बाद कई सरकारें बदली, कई सदर बदले, लेकिन पलायन की समस्या जस की तस बनी रही। हालांकि पलायन से निपटने के लिए कई प्रयास किए गए , इन्ही में से एक प्रयास था, पलायन आयोग इस आयोग ने पलायन के आंकड़ों के साथ ही इन हालातों से निपटने के लिए जरूरी सलाह दी।
कोरोना के कारण तीन साल सर्वे न हो सका …लेकिन 2018 और 2022 के ये आंकड़े भी डराने वाले हैं …यह आकंड़े सौंपने के साथ ही पलायन आयोग ने सरकार को पलायन से निपटने के उपाय भी सुझाए …जिनमें पहाड़ों में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, जैसी बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने की सलाह दी, साथ ही रोजगार और स्वरोजगार को भी बढ़ावा देने की सलाह दी..उत्तराखंड सरकार इस दिशा में लगातार प्रयास कर रही है लेकिन अभी लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सका, हालांकि सियासतदां पलायन के हालातों में जल्द ही सुधार आने की उम्मीद जता रहे हैं.
पलायन से निपटने के लिए राज्य सरकार की कोशिश लगातार जारी है …सरकार स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है …जिसका नतीजा ये है कि पढ़े लिखे नौजवान लाखों की नौकरी छोड़कर गांवों का रूख कर स्वरोजगार अपना रहे हैं …और अपने साथ ही स्थानीयों को भी रोजगार दे रहे हैं …इसे कोशिश को रिवर्स पलायन कहा जा रहा है …लेकिन पलायन को मात देने के लिए इतना भर काफी नहीं है … असल मायनों में रीवर्स पलायन तब ही सार्थक होगा …जब बेहतर शिक्षा के लिए परिवारों को पहाड़ों से मैदानों का रूख नहीं करना पड़ेगा…मरीजों को डंडी कंडियों के सहारे न ले जाना पड़े।