Chhattisgarh: सीएम बघेल ने झीरम घाटी हमले को लेकर दिया बड़ा बयान

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने छत्तीसगढ़ पुलिस के लिए 2013 के झीरम घाटी नक्सली हमले के पीछे की साजिश की जांच करने का रास्ता साफ कर दिया है।

हमले में राज्य कांग्रेस इकाई के नेताओं सहित 29 लोग मारे गए थे, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को झीरम घाटी नक्सली हमले में बड़ी साजिश का आरोप लगाने वाली एफआईआर में छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की याचिका खारिज कर दी।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने एनआईए की याचिका खारिज कर करते हुए कहा, “क्षमा करें, हम हस्तक्षेप नहीं करना चाहेंगे। खारिज किया।”

इसके बाद में, बघेल ने एक्स पर एक पोस्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन किया और कहा कि ये छत्तीसगढ़ के लिए न्याय के दरवाजे खोलने जैसा है। उन्होंने कहा कि ”झीरम की घटना दुनिया के लोकतंत्र में सबसे बड़ा राजनैतिक नरसंहार थी, जिसमें हमने वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं सहित 32 लोगों को खो दिया।”

सीएम ने कहा कि एनआईए ने इसकी जांच की। एक आयोग ने भी इसकी जांच की। लेकिन किसी ने भी घटना के पीछे “बड़ी राजनैतिक साजिश” की जांच नहीं की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि “जब छत्तीसगढ़ पुलिस ने जांच शुरू की, तो एनआईए ने इसे बाधित करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया। आज रास्ता साफ हो गया है। अब छत्तीसगढ़ पुलिस इसकी जांच करेगी। किसने किसके साथ मिलकर क्या साजिश रची थी? सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। एक बार फिर झीरम के शहीदों को श्रद्धांजलि।”

25 मई 2013 को, बस्तर जिले के दरभा क्षेत्र में झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला किया था, जिसमें तत्कालीन राज्य कांग्रेस प्रमुख नंद कुमार पटेल, उनके बेटे, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ला सहित 29 लोगों की मौत हो गई।

भारी हथियारों से लैस नक्सलियों ने ये हमले को उस वक्त अंजाम दिया था, जब तत्कालीन विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव प्रचार चल रहा था और कांग्रेस नेता बस्तर जिले में ‘परिवर्तन रैली’ में हिस्सा लेने के बाद लौट रहे थे। इसके बाद बस्तर पुलिस ने दरभा पुलिस स्टेशन में घटना की एफआईआर दर्ज की और एनआईए ने बाद में इसकी जांच अपने हाथ में ले ली। एनआईए ने अपनी जांच पूरी करने के बाद आरोप पत्र दाखिल किया था, जिस पर सुनवाई शुरू हुई।

मुदलियार, कांग्रेस नेता उदय मुदलियार के बेटे हैं, जो झीरम घाटी हमले में मारे गए थे, एनआईए ने बाद में जगदलपुर में एक विशेष (एनआईए) अदालत में एक आवेदन दायर कर बस्तर पुलिस को ताजा एफआईआर की जांच में आगे नहीं बढ़ने और दूसरी एफआईआर से संबंधित सभी दस्तावेज केंद्रीय एजेंसी को सौंपने के निर्देश जारी करने की मांग की।

हालांकि, विशेष अदालत ने 2020 में एनआईए के आवेदन को खारिज कर दिया, जिसके बाद एजेंसी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने पिछले साल उसकी याचिका भी खारिज कर दी। इसके बाद एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि “उच्चतम न्यायालय के इस फैसले का मैं स्वागत करता हूं और लगातार हम लोग केंद्र सरकार से मांग करते रहे कि एनआईए की जांच यदि संपन्न हो गई है तो इसको हमको सौंपा जाए। जो राजनीतिक अपराधिक षणयंत्र था, एनआईए ने तो इसकी जांच नहीं की, राज्य पुलिस है, उसकी जांच कर रही थी, जिसमें स्टे लिया गया और आयोग का भी जो गठन हुआ था, पहले जो एकल सदस्य था, उसके बाद दो सदस्यीय जो आयोग का गठन किया गया, उसमें भी धर्मलाल कौशिक जी हाई कोर्ट में जाकर स्टे लिये थे। तो लगातार जांच को बाधित करने का काम भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार द्वारा, तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा बाधित करने की हमेशा कोशिश की गई, लेकिन अब रास्ता खुल गया है।”

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