Chitrakoot: भाद्रपद की अमावस्या पर लगा श्रद्धालुओं का तांता,लाखों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु

Chitrakoot: भाद्रपद की अमावस्या के अवसर पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु धर्मनगरी चित्रकूट पहुंच रहे हैं, जहां श्रद्धालुओं ने मां मंदाकिनी नदी में आस्था की डुबकी लगा भगवान कामदगिरि की पूजा अर्चना कर परिक्रमा लगाई है। बता दें कि भाद्रपद की अमावस्या के दिन सनातन धर्म में पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या का दिन श्राद्ध कर्म करने के लिए उपयुक्त माना जाता है, इसके साथ ही इस दिन स्नान-दान और पूजा-पाठ इत्यादि कर्म करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है।

भाद्रपद अमावस्या को पिठोरी अमावस्या और कुशग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है, भाद्रपद की अमावस्या से ही लोग साल भर होने वाले शुभ कार्यों के लिए कुश को आज ही के दिन जल में भिगोकर उसे रख लेते हैं और शुभ कार्य में उसका इस्तेमाल करते हैं। भाद्रपद अमावस्या के कुछ समय बाद ही पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है, अमावस्या तिथि को भी श्राद्ध कर्म करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए इस अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है।

इसके साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से शुभ फलों की प्रप्ति होती है, इससे भगवान के साथ-साथ पितर भी प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देते हैं। भाद्रपद की अमावस्या का चित्रकूट में कुछ विशेष ही महत्व है क्योंकि यहां भगवान श्री राम ने अपने वनवास के साढ़े 11 वर्ष बिताए थे और गोस्वामी तुलसीदास को भी भगवान श्री राम ने चित्रकूट में ही दर्शन दिए थे, इसलिए भगवान राम के निशानियां को देखने के लिए और उनके दर्शन के लिए बड़ी तादाद में श्रद्धालु धर्मनगरी चित्रकूट पहुंचते हैं और मां मंदाकिनी नदी में आस्था की डुबकी लगा भगवान कामदगिरि की पूजा अर्चना कर परिक्रमा लगाते हैं।

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भाद्रपद की अमावस्या साल की सबसे दूसरी बड़ी अमावस्या मानी जाती है, इस समस्या में करीब 15 से 20 लाख के श्रद्धालुओं के पहुंचने की प्रशासन ने संभावना जताई थी. लेकिन इस बार दो दिन अमावस्या के होने का मुहूर्त होने पर श्रद्धालु लगातार चित्रकूट पहुंच रहे हैं और अभी तक करीब 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने कामतानाथ मंदिर में दर्शन पूजन किए हैं. वहीं श्रद्धालुओं का मानना है की अमावस्या के दिन मंदाकिनी नदी में स्नान कर भगवान कामतानाथ के जो भी दर्शन पूजन करता है उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और प्रशासन ने भी पहले की अपेक्षा इस बार बड़े इंतजाम किए हैं, जिससे उनको दर्शन करने में किसी प्रकार की कोई और सुविधा नहीं हो रही है।

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