नमिता बिष्ट
डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है और कई बार वह अपनी ‘सीमा’ से भी ज्यादा ऐसा कुछ कर जाते हैं, जो मिसाल बन जाता है। जी हां, इस बात को दून मेडिकल कालेज अस्पताल के सीनियर रेजीडेंट डा. शशांक सिंह ने साबित कर दिखाया है। डा. शशांक ने पहले खुद ही मरीज के लिए रक्तदान किया और फिर उसके बाद उनकी जांघ का आपरेशन किया। जिसके बाद उनकी हर कोई सराहना कर रहा है। खुद मेडिकल कालेज के प्राचार्य इसकी मिसाल दूसरे डॉक्टरों को दे रहे हैं।
मरीज को नहीं मिल पा रहा था खून
दरअसल सात नवंबर को गड्ढे में गिरकर गंभीर रूप से घायल देहरादून के अवधेश को मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी छाती में गंभीर चोट थी। साथ ही बायें हाथ और जांघ की हड्डी दो जगह से टूटी हुई थी। मरीज को तीन दिन तक आइसीयू में रखा गया। जिसके बाद उनकी स्थिति में कुछ सुधार हुआ। इसके बाद डॉक्टरों ने उनकी जांघ की हड्डी का आपरेशन करने का फैसला लिया, लेकिन मरीज के शरीर में खून की कमी होने के कारण आपरेशन नहीं हो पा रहा था।
डा. शशांक सिंह ने मरीज को दिया अपना खून
बता दें कि मरीज की बेटी ने खून देने की कोशिश की, पर कुछ समस्या होने के कारण वह खून नहीं दे पाई। यहां तक की रिश्तेदारों और जानने वालों से भी खून नहीं मिल सका। यह बात जब मरीज का उपचार कर रहे डा. शशांक सिंह को पता चली तो उन्होंने खुद मरीज को खून देने का फैसला किया।
मरीज का आपरेशन सफल…. डॉक्टरों ने की सराहना
फिर उन्होंने बुधवार को मरीज को अपना खून दिया और उसके तुरंत बाद जांघ का आपरेशन किया और आपरेशन सफल रहा। आर्थोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष डा. अनिल जोशी भी इस दौरान उनके साथ रहे। प्राचार्य ने कहा कि डा. शशांक की तरह ऐसी भावना हर डॉक्टर और कर्मचारियों में होनी चाहिए। यह अपने आप में मिसाल है।
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