Badrinath Dham: उत्तराखंड में चार धाम यात्रा अब अपने समापन की ओर है. प्रमुख चार धामों में से एक श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर (यानी कल) दिन शनिवार को बंद होंगे. इसके साथ ही चार धाम यात्रा का समापन हो जाएगा. 165 वर्षों बाद पहला ऐसा अवसर होगा, जब बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के समय ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज श्री बद्रीनाथ उपस्थित रहेंगे. कपाट बंद होने के समय ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य की उपस्थिति की परंपरा एक बार फिर लगभग 165 वर्षों बाद शुरू होने जा रही है.
ज्योतिष पीठ के नवनियुक्त शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के समय वे वहां पर मौजूद रहेंगे. आदिगुरु शंकराचार्य जी की पावन गद्दी की अगुवाई करते हुए उनके प्रमुख पड़ाओं से गुजर कर 21 नवंबर को जोशीमठ के नरसिंह मंदिर पहुंचेंगे. कई वर्षों से यह परंपरा बंद हो गई थी, लेकिन एक बार फिर से परंपरा शुरू हो रही है. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि ज्योतिष मठ में सदियों से परंपरा रही बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद और खुलने के वक्त शंकराचार्य पालकी में बैठकर वहां जाते थे सन 1776 में शंकराचार्य राम कृष्ण जी महाराज के स्वर्गवास होने के बाद यह परंपरा बंद हो गई क्योंकि ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य का वहां पर निवास नहीं रहा 165 साल यही परिस्थिति बनी रही अब हमारे द्वार इस परंपरा की शुरुआत की जा रही है।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज
बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलने और बंद होने पर शंकराचार्य द्वारा वहां मौजूद होने की बंद पड़ी परंपरा की शुरुआत होने पर संत समाज भी काफी उत्साहित नजर आ रहा है सिद्ध पीठ शाकुंभरी देवी के महंत सहजानंद ब्रह्मचारी का कहना है कि इस परंपरा के शुरू होने पर संत समाज में खुशी का माहौल है क्योंकि यह परंपरा हमारी सदियों पुरानी थी इसको अब नवनियुक्त शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा शुरू किया जा रहा है इससे भक्तों में भी हर्षोल्लास देखने को मिल रहा है।
बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने का समय
श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को दोपहर 03 बजकर 35 मिनट पर बंद होंगे.
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