नमिता बिष्ट
आज विश्व मधुमेह (डायबिटीज) दिवस मनाया जा रहा है। यह दुनिया में एक बड़ा स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है। इस दिन को दुनिया भर में सर फ्रेडरिक बेंटिंग की जन्म तिथि पर मनाया जाता है। सर फ्रेडरिक बेंटिंग ने चार्ल्स हरबर्ट के साथ मिल कर इंसुलिन हार्मोन की खोज की थी। इस तरह फ्रेडरिक को सम्मानित करने के उद्देश्य से उनके जन्म दिन को मधुमेह दिवस के रूप में समर्पित किया गया है। तो चलिए जानते हैं इस दिन का इतिहास और महत्व…
वर्ल्ड डायबिटीज डे का इतिहास
साल 1991 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अंतरराष्ट्रीय मधुमेह दिवस मनाने की घोषणा की थी और 2006 में संयुक्त राष्ट्र संघ के सहयोग एवं समर्थन से यह एक आधिकारिक संयुक्त राष्ट्र दिवस बन गया। तब से यह पूरे विश्व में हर साल 14 नवंबर को डायबिटीज डे मनाने की शुरुआत हुई।
वर्ल्ड डायबिटीज डे का उद्देश्य
डायबिटीज डे को मनाना इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए ज़रूरी है, ताकि सब लोगों को इसके लक्षणों और कब से उपचार करवाना शुरू करना है, इस बारे में पता चल सके। इस समय लोगों के पास डायबिटीज से लड़ने के लिए हेल्थ केयर सुविधा है या नहीं, इस बारे में भी जानकारी दी जाती है। बता दें कि वर्ल्ड डायबिटीज डे सबसे बड़े वार्षिक डायबिटीज जागरूकता अभियानों में से एक है जिसमें 160 से अधिक देश भाग लेते हैं और 100 करोड़ से अधिक जीवन इससे प्रभावित होते हैं।
2022 की थीम
इस साल मनाए जाने वाले वर्ल्ड डायबिटीज डे की थीम एक्सेस टू डायबिटीज एजुकेशन (Access to Diabetes Education) रखी गई है।
क्या है मधुमेह (डायबिटीज)
डायबिटीज एक पुरानी, चयापचय बीमारी है जो खून में ग्लूकोज (या रक्त शर्करा) के ऊंचे स्तर से संबंधित है, जो समय के साथ हृदय, रक्त वाहिकाओं, आंखों, गुर्दे और तंत्रिकाओं को गंभीर नुकसान पहुंचाती है। सबसे आम टाइप 2 डायबिटीज है, जो आमतौर पर तब होता है जब शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है या डायबिटीज रोगी के शरीर में इंसुलिन बंद अथवा कम हो जाता है, जिसकी वजह से शरीर में ग्लूकोज अथवा शक्कर की मात्रा ज्यादा हो जाती है। वहीं टाइप 1 डायबिटीज, जिसे एक बार किशोर डायबिटीज या इंसुलिन-निर्भर डायबिटीज के रूप में जाना जाता है, एक पुरानी स्थिति है जिसमें अग्न्याशय अपने आप में बहुत कम या कोई इंसुलिन पैदा नहीं करता है।
दुनिया में 42.2 करोड़ डायबिटीज के मरीज
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में लगभग 42.2 करोड़ लोग डायबिटीज से जूझ रहे हैं। इन 90% डायबिटीज के मरीजों को टाइप-2 डायबिटीज है। हर साल 15 लाख लोगों की मृत्यु सीधे तौर पर डायबिटीज के कारण होती है। पिछले कुछ दशकों में डायबिटीज के मामलों की संख्या और प्रसार दोनों में लगातार वृद्धि हुई है।
उत्तराखंड में 12 फीसदी आबादी डायबिटीज से पीड़ित
वहीं उत्तराखंड की बात करें तो उत्तराखंड में शुगर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उत्तराखंड की 12 फीसदी आबादी डायबिटीज से पीड़ित है। अगर बच्चों की बात करें तो शुगर की समस्या अब छोटे बच्चों को भी परेशान कर रही है। पांच साल से छोटे बच्चों को भी शुगर की बीमारी घेर रही है। दून अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डा. विशाल कौशिक, डा. आयशा इमरान कहते हैं कि दो से पांच साल तक के बच्चों में भी शुगर की समस्या देखी जा रही है। उन्हें कई बार इंसुलिन तक की जरूरत पड़ रही है।
डायबिटीज के लक्षण
टाइप 1 डायबिटीज के लक्षणों में बार-बार पेशाब आना, प्यास लगना, लगातार भूख लगना, वजन कम होना, दृष्टि में बदलाव और थकान शामिल हैं। ये लक्षण अचानक हो सकते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण आमतौर पर टाइप 1 डायबिटीज के समान होते हैं, लेकिन अक्सर कम पहचान में आते हैं। नतीजतन, जटिलताएं पहले ही उत्पन्न होने के बाद, बीमारी की शुरुआत के कई सालों बाद निदान किया जा सकता है।
डायबिटीज से बचाव
चिकित्सकों का मानना है कि एक बार कोई डायबिटीज से ग्रस्त हो जाता है, तो इसे पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है, लेकिन खान-पान आदि से इस पर नियंत्रण जरूर रखा जा सकता है। इसलिए डॉक्टर खानपान सही करने, बेहतर दिनचर्या और डॉक्टर की सलाह पर सही तरीके से दवा लेने को शुगर के खिलाफ बेहतर हथियार मानते हैं।
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