पीएम मोदी के केदारनाथ दौरे का हिमाचल तक अहसास, हर बार की तरह इस बार भी सुर्खियों में पोशाक

नमिता बिष्ट

पीएम मोदी आज छठवीं बार बाबा केदार के द्वार पहुंचे। इस दौरान सफेद पोशाक, लाल पहाड़ी टोपी और कमर पर साफा बांधे उनका अंदाज भी खास रहा। बता दें कि पीएम मोदी जब भी केदारनाथ धाम आते हैं तो उनका पहनावा खास होता है। उनका ये अंदाज लोगों को भी खूब भाता है। आज भी केदारनाथ में पीएम मोदी जिस पोशाक को पहनकर पूजा करते नजर आए वह हिमाचल की विशेष पोशाक है। ये पोशाक उन्हें चंबा की एक महिला ने तोहफे में दी थी।

खास पोशाक पहनकर बाबा केदार के द्वार पहुंचे पीएम
दरअसल यह पोशाक ओवरकोट जैसी होती है। जो ऊंचाई वाले क्षेत्र में भेड़ की ऊन के कपड़े से तैयार की जाती है। जिसे चोला-डोरा, या फिर ‘चोलू’ भी कहते है। स्थानीय लोग इसे हाथो से तैयार करते हैं। दि‍खने में यह नरम जबकि कपड़ा काफी मोटा होता है। पहले यह साधारण होती थी जिसमें हाथ और गले पर पट्टी बनाई जाती थी। लेकिन अब इस पोशाक में डेकोरेशन होने लगा है। प्रधानमंत्री इस पोशाक को पहनकर बाबा केदार के द्वार पहुंचे थे।

पीएम मोदी ने किया अपना वादा पूरा
बता दें कि बीते दिनों हिमाचल प्रदेश दौरे के दौरान एक महिला ने पीएम मोदी को चोला-डोरा पोशाक उपहार दी थी। जिसके बाद पीएम मोदी ने महिला से वादा भी किया था कि जब वे किसी महत्वपूर्ण ठंडी जगह पर जाएंगे तो इस परिधान को पहनेंगे। आज उन्होंने अपना ये वादा भी पूरा कर लिया है।

पहले भी पहनावा रहा काफी चर्चा में
इससे पहले भी पीएम मोदी जब केदारनाथ आए थे उनका पहनावा काफी चर्चा में रहा था।
2021 में अपने केदारनाथ दौरे के समय वह पहाड़ी टोपी में नजर आए थे। हालांकि बाद उन्हों ने ऊनी टोपी पहन ली थी। इस दौरे में उन्होंेने आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया था।
2019 में प्रधानमंत्री ने अपने केदारनाथ दौर के समय पहाड़ी परिधान और पहाड़ी टोपी पहनी और कमर में केसरिया गमछा बांधा हुआ था।
2018 में केदारनाथ यात्रा के समय प्रधानमंत्री कोट पैंट पहनकर पहुंचे थे।
2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने कुर्ता पायजामा पहना था। उसके साथ ही उन्होंपने ग्रे रंग की बास्केीट पहनी हुई थी और शॉल ओढ़ा हुआ। पीएम मोदी ने काला चश्माक भी पहना हुआ था।

स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा
यह अच्छी बात है कि पीएम मोदी स्थानीय उत्पादों को प्रमोट कर रहे हैं। पीएम मोदी ने बीते 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर ब्रह्मकमल टोपी पहनी थी। जिसके बाद इस टोपी की जहां मांग अधिक रही, वहीं उत्तराखंड की संस्कृति‍ को विशेष पहचान मिली। इस टोपी को डिजाइन करने वाले सोहम हिमालयन सेंटर के संचालक मसूरी निवासी समीर शुक्ला बताते हैं कि स्थानीय उत्पादों की ब्रांडिंग प्रधानमंत्री से अच्छा कोई नहीं कर सकता। वह जिसे पहनते हैं वह विशेष बन जाती है।

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