नमिता बिष्ट
उत्तराखंड में स्कूली शिक्षा के बाद अब उच्च शिक्षा में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू कर दी गई है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को उच्च शिक्षा में शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का विधिवत शुभारम्भ किया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री प्रधान ने देश में सबसे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिए उत्तराखण्ड सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि बाल वाटिका से प्रारम्भिक शिक्षा मे उत्तराखण्ड ने ही इसकी सबसे पहले शुरुआत की और अब उच्च शिक्षा में इसकी शुरुआत कर दी गई है।
विद्वानों की भूमि है देवभूमि
केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि हमेशा से देवभूमि उत्तराखण्ड विद्वानों की भूमि है। यहां के लोगों में पढ़ना और मेहनत करने का स्वाभाविक गुण है। इसलिए यहां के युवाओं को अब खुद को दुनिया से मुकाबले के लिए तैयार करना होगा।
2025 तक 40 लाख को पढ़ाने की क्षमता का लक्ष्य
अब उच्च शिक्षा विभाग ने भी इस पर अमल कर एक और अहम कदम उठा दिया है। उन्होंने कहा कि अभी उत्तराखंड में प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक हर स्तर पर 35 लाख छात्रों को पढ़ाने की क्षमता है। इसे 2025 तक 40 लाख किए जाने की जरूरत है। इसी तरह स्कूली शिक्षा में भी अगले साल तक तीन वर्ष की आयु पूरी करने वाले हर बच्चे को बाल वाटिका में प्रवेश दिए जाने का प्रयास किया जाना है।
देश,समाज का विकास बेहतर शिक्षा से ही संभव
उन्होंने कहा कि किसी भी देश-समाज का विकास, बेहतर शिक्षा से ही संभव है। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 बनाई गई है। शिक्षा के साथ ही बच्चों के कौशल, व्यक्तित्व, भाषाई विकास और नैतिक मूल्यों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
इस साल प्रवेश भी नई नीति के तहत
वहीं इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सांस्कृतिक आत्म सम्मान के साथ आत्मनिर्भर युवाओं पर जोर दिया गया है। इसमें मातृभाषाओं में पढ़ाई पर फोकस किया गया है, मेडिकल की पढ़ाई तक हिंदी में कराई जा रही है। उत्तराखंड में इसे हर स्तर पर लागू किया जाएगा। उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसी सत्र से सभी विश्वविद्यालयों में लागू हो रही है। इस साल के प्रवेश भी नई नीति के प्रावधानों के तहत किए गए हैं।