Chhattisgarh: कभी बंदूकों की गूंज और धमाकों से दहकता था बस्तर… अब उसी धरती से नई उम्मीद की आवाज उठ रही है। छत्तीसगढ़ सरकार की नई नक्सल आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति 2025 से नक्सलियों को हिंसा छोड़ समाज में लौटने और नया जीवन पाने का मौका मिला, जो बस्तर में शांति की दिशा में एक बड़ा कदम है।
वर्षों तक हिंसा और भय की छाया में जी रहे 210 माओवादी कैडरों ने ‘पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’ कार्यक्रम के अंतर्गत बंदूक छोड़कर संविधान को अपनाया। जो एक साथ इतने नक्सलियों के सरेंडर का रिकॉर्ड है और 31 मार्च 2026 तक नक्सल मुक्त देश का सपना पूरा होने का संकल्प भी।
नीति के तहत आत्मसमर्पण नक्सलियों को ₹50,000 सहायता, इनाम, घर-रोजगार, शिक्षा-स्वास्थ्य सुविधा मिलेगी। बस्तर की बदलती तस्वीर ये बताती है कि जब शासन-प्रशासन संवेदना और विकास के साथ आगे बढ़े,तो बंदूक छोड़ विश्वास की राह चुनी जा सकती है। छत्तीसगढ़ सरकार की नई नीति ने इस परिवर्तन की शुरुआत कर दी है। अब वक्त है कि हर गांव, हर जंगल से निकले एक नई कहानी… ‘शांति की कहानी’।