Goa: छात्रों ने फर्जी वेबसाइटों से निपटने के लिए AI टूल विकसित किए

Goa: सोशल मीडिया पर हेट कंटेंट यानी नफरत बढ़ाने वाली सामग्री बहुत तेजी से फैल जाती है। कुछ मिनटों में ही ये लाखों लोगों में वायरल हो जाती है। एक बार हेट कंटेंट वायरल हो जाए तो फिर इसे रोकना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। इसको देखते हुए शिक्षाविदों और कानून का पालन कराने वाले जिम्मेदार लोगों ने निजी कॉलेज के छात्रों के साथ मिलकर कट्टरपंथी सामग्री और नकली वेबसाइट से निपटने के लिए अत्याधुनिक समाधान विकसित किए हैं।

निजी कॉलेज के साथ साझेदारी में विकसित ये पहल एक AI-आधारित उपकरण है जिसे कट्टरपंथी या चरमपंथी सामग्री के लिए सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को स्कैन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका मकसद ऑनलाइन कट्टरपंथ का मुकाबला करना और चरमपंथी प्रचार को रोकना है। ये डिजिटल और ऑफ़लाइन दोनों तरह की सामग्री का विश्लेषण कर सकता है, जिसमें अंग्रेज़ी, हिंदी और उर्दू में 25 मिनट तक के वीडियो शामिल हैं।

रेडिकल कंटेंट एनालाइज़र AI का इस्तेमाल करके हिंसक या नफरत बढ़ाने वाले वीडियो का पता लगाता है, जिससे उन पर तुरंत एक्शन लिया जा सकता है। इसके अलावा फ़ेक वेबसाइट डिटेक्शन टूल यूजर को गलत भावना से तैयार की गई वेबसाइटों की पहचान करने और डिजिटल खतरों से बचने में मदद करता है। ये उपकरण अगले महीने से गोवा में इस्तेमाल होने जा रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में बिट्स पिलानी गोवा कैंपस में विकसित की गई नई तकनीक गोवा पुलिस को दिखाई गई।

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की मौजूदगी में हुई इस बैठक में डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता पर जोर दिया गया। बिट्स पिलानी और गोवा पुलिस के बीच ये सहयोग इस बात की शानदार मिसाल है कि कैसे सार्वजनिक सुरक्षा पक्का करने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल कर चुनौतियों से निपटा जा सकता है।

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