Jammu-Kashmir: कश्मीर में इन दिनों हाड़ कंपा देने वाली ठंड पड़ रही है, जिससे यहां जनजीवन प्रभावित है और लोगों पर इसका गहरा असर देखा जा सकता है। बावजूद एक बड़ा विरोधाभास सामने आया है। एक तरफ यहां के लोग मौसम की मार से जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के आने का सिलसिला जारी है, जो यहां बर्फीले मौसम का आनंद लेने के लिए पहुंच रहे हैं।
सर्दियों की सबसे कठोर 40 दिनों की अवधि, जिसे स्थानीय भाषा में चिल्लई कलां कहा जाता है, 21 दिसंबर को शुरू होने वाली है। ऐसे में बर्फबारी देखने की उम्मीद में ज्यादा से ज्यादा पर्यटक कश्मीर पहुंच रहे हैं। पर्यटकों की भारी आमद से कश्मीर के पर्यटन उद्योग को काफी फायदा हो रहा है, जिससे उद्योग से जुड़े लोगों के चेहरे खिले हुए हैं। भीषण ठंड और शुष्क मौसम का सामना करते हुए, हजारों पर्यटक घाटी के खूबसूरत नजारों में अपनी छुट्टियों का मजा लेने के लिए कश्मीर आ रहे हैं, इस सर्दी के मौसम में क्रिसमस और नए साल का जश्न भी कश्मीर में भारी भीड़ खींच रहा है।
पर्यटकों का कहना है कि “कश्मीर वास्तव में बहुत खूबसूरत है। हमें खूबसूरती और खासकर हमें टेंपरेचर इसमें यही माइनस में ही आना था। तो इस वजह से ये ब्यूटी देखने के लिए इस वक्त हमने चूज ही यही किया कि दिसंबर में ही चलते हैं। और काफी बढ़िया रहा अभी तो, कल शाम में पहुंचे हैं हम। आज का स्टे हमारा यहीं श्रीनगर में ही है। कल फिर पहलगांव, फिर गुलमर्ग है, सोनमर्ग का भी प्लानिंग है, लेकिन देखते हैं।” खासकर दक्षिण भारत सहित मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों से काफी संख्या में पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं, जो कश्मीर की बर्फीली सर्दियों का आनंद लेने के लिए उत्सुक नजर आ रहे हैं।
लोगों का कहना है कि “जम्मू कश्मीर हर मौसमों के लिए टूरिस्ट डेस्टिनेशन है, हमारे पास शीतकालीन पर्यटन है, हमारे पास ग्रीष्मकालीन पर्यटन है, हमारे पास वसंत और शरद ऋतु के लिए पर्यटन है, इसलिए हम साल के सभी चार मौसमों और विशेष रूप से सर्दियों के लिए महत्वपूर्ण डेस्टिनेशन हैं। अब इस साल हमने दूसरे डेस्टिनेशन को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है। इस साल केवल गुलमर्ग, पटनीटॉप, सोनमर्ग और पहलगाम जैसे पारंपरिक टूरिस्ट प्लेस को ही बढ़ावा देने के बजाय हम इस साल दूसरे सभी पर्यटन स्थलों को पहले ही प्रचारित कर चुके हैं।”