Divorce: तलाक केस के दौरान पत्नी उन्हीं सुविधाओं की हकदार, जो उसे ससुराल में मिलती हैं- सुप्रीम कोर्ट

Divorce: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तलाक की याचिका लंबित रहने के दौरान पत्नी उसी तरह की सुविधाएं पाने की हकदार है, जो उसे शादी के बाद ससुराल में मिलती हैं। कोर्ट ने तलाक के एक मामले केरल हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए पत्नी को राहत दी और उसके पति को भरण-पोषण के लिए 80 हजार की जगह 1.75 लाख रुपए महीना देने का आदेश दिया।

दरअसल, केरल हाई कोर्ट ने 1 दिसंबर 2022 को पति को 80 हजार रुपए महीना भरण-पोषण देने का आदेश दिया था। इसके बाद महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। बता दें, महिला की शादी 2008 में डॉक्टर (कार्डियोलॉजिस्ट) से हुई थी। पति को पहली शादी से एक बेटा था। महिला से उसे कोई संतान नहीं थी। शादी के कुछ सालों बाद दोनों के बीच अनबन होने लगी। दोनों अलग रहने लगे।

2019 में पति ने चेन्नई की फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी लगाई। सुनवाई के दौरान महिला ने 2.50 लाख रुपए महीने भरण पोषण और दो लाख रुपए केस खर्च की मांग की थी। फैमिली कोर्ट ने पति को पत्नी को भरण-पोषण के लिए 1.75 लाख रुपए महीना देने का आदेश दिया था। कोर्ट के इस फैसले को पति ने मद्रास हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

सुप्रीम कोर्ट में 19 नवंबर को इस मामले की सुनवाई हुई। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पी. बी. वराले की बेंच ने मद्रास हाई कोर्ट का 14 जून 2022 का फैसला बदला। पति को 80 हजार रुपए महीने की जगह 1.75 लाख रुपए भरण-पोषण देने का निर्देश दिया।

बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पति की इनकम से जुड़े पहलुओं को नजरअंदाज किया, जिस पर फैमिली कोर्ट ने विचार किया था। फैमिली कोर्ट ने पति की कंडीशन, लाइफ स्टैंडर्ड, इनकम सोर्स, प्रॉपर्टी, जिम्मेदारियों की तुलना की थी, जिसमें इसमें पाया था कि पत्नी को पति से मिले विशेष अधिकारों से दूर नहीं किया जा सकता।

बेंच ने कहा कि रिकॉर्ड में है कि महिला अब काम नहीं कर रही है, क्योंकि उसने शादी के बाद नौकरी छोड़ दी थी। महिला अपने वैवाहिक घर (ससुराल) में तय लाइफ स्टाइल की आदी थी, इसलिए तलाक याचिका के पेंडिंग रहने के दौरान वो उसी लाइफ स्टाइल की हकदार है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *