Delhi: भारत में जर्मन दूतावास के विकास सहयोग के प्रमुख उवे गेहलेन ने कहा कि भारत-जर्मनी संबंध “भारी मात्रा” में विश्वास, दोस्ती और साझा जिम्मेदारी पर आधारित है, जो दोनों देशों को आगे लाता है और साथ ही दुनिया में योगदान देता है और चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ की आगामी यात्रा इसके अनुरूप है।
उन्होंने कहा कि हैम्बर्ग सस्टेनेबिलिटी कॉन्फ्रेंस अक्टूबर की शुरुआत में जर्मनी में आयोजित होने वाला है, इसमें भारत सार्वजनिक और निजी दोनों सेक्टरों से हिस्सा लेगा। भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के 16-18 सितंबर तक महात्मा मंदिर, गांधीनगर, गुजरात में आयोजित होने वाले चौथे ग्लोबल री-इन्वेस्ट रिन्यूएबल एनर्जी इन्वेस्टर्स मीट एंड एक्सपो में जर्मनी एक भागीदार देश होगा।
उन्होंने अक्टूबर के आखिर में नई दिल्ली में होने वाले जर्मन बिजनेस के 18वें एशिया-प्रशांत सम्मेलन का भी जिक्र किया। भारत में जर्मन दूतावास के विकास सहयोग प्रमुख उवे गेहलेन ने बताया कि “परिणाम बहुत दिलचस्प रहे हैं। जीएसडीपी बहुत लंबे समय तक चलने वाली, पहले से ही मौजूद साझेदारी पर निर्माण कर रहा है। हमारे लिए अब सवाल ये है कि हम इसे कैसे बढ़ाते हैं और जीएसडीपी के साथ दोनों राज्य नेताओं का समर्थन अहम कदम है।”
उन्होंने कहा कि जर्मन कैबिनेट के कुछ हिस्सों के साथ हमारे चांसलर की आने वाली यात्रा हमें आगे बढ़ाएगी। मैं इसके लिए बहुत उत्सुक हूं, मुझे लगता है, हमारा रिश्ता जबरदस्त विश्वास, दोस्ती और साझा जिम्मेदारी पर आधारित है…दोनों देशों को आगे लाने के साथ-साथ दुनिया के लिए योगदान भी दे रहा है। सबसे चुनौतीपूर्ण सवाल। तो, मैं वाकई में देखता हूं। ये यात्रा है उसके अनुरूप, इसमें कोई शक नहीं है।
इसके साथ ही कहा कि जर्मन विकास मंत्री स्वेन्जा शुल्ज प्रतिनिधिमंडल के साथ गांधीनगर (आगामी आरई इन्वेस्ट 2024 के लिए) आ रहे हैं, हमारे पास वित्तीय साधनों की मजबूत पकड़ है। हैम्बर्ग सस्टेनेबिलिटी कॉन्फ्रेंस अक्टूबर की शुरुआत में जर्मनी में आयोजित होने वाला है, जिसमें भारत सार्वजनिक और निजी दोनों सेक्टरों से हिस्सा लेगा।