Telangana: जैसे-जैसे राम नवमी नजदीक आ रही है, वेलिदी हरिप्रसाद के करघे से निकलने वाले सुर भक्तिमय होते जा रहे हैं। हरिप्रसाद तेलंगाना के सिरसिला में बुनकर हैं। उन्होंने राम नवमी पर भद्रचलम मंदिर में सीता माता के लिए सोने से साड़ी बुनी है। सात यार्ड लंबी साड़ी का वजन 800 ग्राम है। इसकी बुनाई सोने के धागों से हुई है। साड़ी पूरी तरह पारंपरिक करघे पर बुनी गई है। साड़ी की बारीक डिजाइन बनाने में 10 दिन लगे।
हरिप्रसाद हाथ से अनोखी साड़ियां बुनने के लिए मशहूर हैं। उन्होंने सरकार से अपील की है कि मंदिर में चढ़ाने के लिए ऐसी नायाब साड़ियां खरीदी जाएं, ताकि हैंडलूम सेक्टर को प्रोत्साहन मिले। हरिप्रसाद लगातार तीसरे साल राम नवमी पर चढ़ाने के लिए सोने के धागों से साड़ी बुन रहे हैं। साड़ी के किनारे पर भद्राद्री मंदिर की मूल विराट (मूर्ति) का बुना हुआ चित्रण दिखाया गया है, जबकि शंख, चक्र, हनुमान और गरुत्मन (दिव्य चील) जैसे पवित्र प्रतीक इसकी सीमाओं को सुशोभित करते हैं। इसके दिव्य आकर्षण को बढ़ाते हुए कपड़े पर ‘श्री राम राम रामेति’ मंत्र को 51 बार दोहराया गया है। इस साल राम नवमी छह अप्रैल को है।
राजन्ना सिरसिला जिला मुख्यालय के हथकरघा कलाकार नल्ला विजय ने शिल्प कौशल का शानदार प्रदर्शन करते हुए एक ऐसी साड़ी बुनी है जो न केवल सुनहरे रंग की है, बल्कि असली सोने से बनी है। साड़ी विशेष रूप से बेल्लारी के एक व्यवसायी के लिए बनाई गई थी। 48 इंच चौड़ी और साढ़े पांच मीटर लंबी इस साड़ी का वजन करीब 800 ग्राम है। इसे खास बनाने वाली बात है कि इसका जटिल पुष्प कार्य, जिसे 20 ग्राम शुद्ध सोने से बुना गया है।
थकरघा कलाकार नल्ला विजय ने बताया कि साड़ी को पूरा करने में 10 दिन का समय लगा। हर इंच सिरसिला के कुशल हथकरघा कारीगरों की विरासत और शानदार, अनुकूलित बुनाई की बढ़ती मांग को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह सुनहरा सृजन तेलंगाना की गौरवशाली बुनाई विरासत की टोपी में एक और पंख जोड़ता है।